नई दिल्ली : बारामुला के बिननेर गांव में बुधवार की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों की मौत के बाद जम्मू और कश्मीर पुलिस ने उत्तरी कश्मीर के इस जिले को ‘आतंकवादी-मुक्त’ घोषित कर दिया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने एनकाउंटर के बाद कहा कि इसी के साथ बारामुला जिला जम्मू और कश्मीर का पहला ‘आतंकवादी-मुक्त’ जिला है.
जम्मू और कश्मीर पुलिस ने जिले में एक बेहतर सुरक्षा वातावरण प्रदान करने के लिए स्थानीय लोगों का धन्यवाद किया.
आतंकवाद से प्रभावित घाटी में यह पहली बार है कि जब किसी जिले को ‘आतंकवादी-मुक्त’ घोषित किया गया है.
बारामुला के एसएसपी इम्तियाज़ हुसैन ने दिप्रिंट से कहा ‘अब बारामूला जिले में रेजीडेंट आतंकवादी नहीं है और न ही बारामुला का कोई आतंकवादी कहीं और काम कर रहा है’.
नेटवर्क को तोड़कर ध्यान केंद्रित करने से सफलता मिली
बारामुला जिले में आतंक विरोधी अभियान का नेतृत्व करने वाले एसएसपी हुसैन ने कहा कि उनका ध्यान सिर्फ आतंकवादियों को मारने पर केंद्रित नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि आतंकी नेटवर्क में भर्ती न हो.
उन्होंने कहा ‘हमने इन आतंकवादियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है.पिछले वर्ष केवल एक स्थानीय लड़के को इस जिले से भर्ती किया गया था और उसे भी निष्प्रभावी कर दिया गया था.’
पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा, ‘पुलिस ने आतंकवादियों के परिवारों के साथ काम किया है और उनमें से कुछ को हिंसा छुड़वाने में मदद की. असली सफलता तब है जब हम भर्ती नहीं होने दें और हम अपना पूरा ध्यान इसी पर केंद्रित कर रहे हैं.’
सूत्रों ने बताया कि बारामुला और एलओसी पर पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों द्वारा अलग-अलग अभियानों में जिले से संबंधित लगभग 50 आतंकवादी मारे गए थे.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जमीनी कार्यकर्ता जो सक्रिय आतंकवादी बन सकते थे उनको इसी अवधि के दौरान परामर्श द्वारा निष्प्रभावी कर दिया गया था.
अल्पकालिक लेकिन एक बड़ी सफलता
बारामुला का ‘आतंकवादी-मुक्त’ होना सुरक्षा बलों के लिए विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए एक उपलब्धि है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक बड़ी सफलता होते हुए भी अल्पकालिक हो सकती है
एक सूत्र का कहना है कि पड़ोसी जिले के एक आतंकवादी को यहां आने और संचालन करने में समय नहीं लगता है और अगर कोई नया व्यक्ति जिले से भर्ती हो जाता है तो क्या होगा.
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