scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशघाटी के पूर्व सैनिकों को बसाने के लिए J&K सरकार ने कश्मीर की पहली सैनिक कॉलोनी के लिए चिन्हित की ज़मीन

घाटी के पूर्व सैनिकों को बसाने के लिए J&K सरकार ने कश्मीर की पहली सैनिक कॉलोनी के लिए चिन्हित की ज़मीन

बड़गाम में चरागाह की 25 एकड़ ज़मीन चिन्हित की गई है और नौकरशाही की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद इसे ट्रांसफर किया जाएगा.

Text Size:

श्रीनगर: दिप्रिंट को पता चला है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने बड़गाम ज़िले में 200 कनाल या 25 एकड़ ज़मीन चिन्हित की है, जहां कश्मीर की पहली सैनिक कॉलोनी बनाई जाएगी.

जम्मू-कश्मीर के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, ये कॉलोनी केंद्र-शासित प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले, सशस्त्र बलों के रिटायर्ड कर्मियों और उनके परिवारों को रिहायशी सुविधाएं देने के लिए स्थापित की जा रही है. कॉलोनी, सशस्त्र बलों के मारे गए कर्मियों की विधवाओं और परिवारों की ज़रूरतों को भी पूरा करेगी.

जम्मू-कश्मीर सरकार के सीनियर अधिकारियों ने कहा कि जम्मू डिवीज़न में तीन सैनिक कॉलोनियां पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन सियासी पार्टियों और अलगाववादी संगठनों के विरोध के चलते, पहले घाटी में इसी तरह की सुविधाएं स्थापित करने की योजना आगे नहीं बढ़ सकी थी.

केंद्रीय और केंद्र-शासित अधिकारियों ने आगे कहा कि चरागाह की 25 एकड़ ज़मीन को संबद्ध अथॉरिटीज़ को ट्रांसफर करने का काम सभी नौकरशाही प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राजस्व विभाग कई महीने से यहां के सैनिक कल्याण विभाग से समायोजन कर रहा था. ज़मीन की निशानदेही के काम में, इस साल अक्टूबर में तेज़ी लाई गई, जब बड़गाम के ज़िला प्रशासन को, श्रीनगर स्थित ज़िला सैनिक कल्याण ऑफिस (ज़ेडएसडब्लूओ) से तालमेल के लिए साथ लिया गया.

केंद्र के केंद्रीय सैनिक बोर्ड की तरह, सैनिक कल्याण विभाग रक्षा मंत्रालय के पूर्व-सैनिक कल्याण विभाग के अंतर्गत काम करता है और बुनियादी रूप से केंद्र-शासित क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले पूर्व-सैनिकों के, कल्याण और पुनर्वास के लिए काम करता है.

अन्य चीज़ों के अलावा विभाग पर, पूर्व-सैनिकों और उनके आश्रितों के फायदे के लिए, कई योजनाएं लागू करने का ज़िम्मा होता है, जिनमें पूर्व-सैनिकों को पहचान पत्र जारी करना, पेंशन मामले तय करने में उनकी मदद करना, और पुन: रोजगार सहायता करना शामिल हैं.

केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार के सूत्रों ने आगे कहा कि कश्मीर में ये विभाग सक्रियता के साथ, घाटी की पहली कॉलोनी स्थापित करने के लिए, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के पीछे लगा रहा है.

इस मामले में टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने, कॉल्स और लिखित संदेशों के ज़रिए, राजस्व विभाग की प्रमुख सचिव शालीन काबरा से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इस ख़बर के छपने तक उधर से कोई जवाब नहीं मिला.


यह भी पढ़ें: कोविड टीका भंडारण के लिए तैयारियों में जुटा भारत, 29 हजार ‘कोल्ड चेन’ और 45 हजार ‘रेफ्रिजरेटर’ का होगा इस्तेमाल


‘इस सुविधा की स्थापना काफी समय से लंबित पड़ी है’

जम्मू-कश्मीर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार के निर्देशों के बाद, ज़िला प्रशासन ने ज़मीन की निशानदेही करके, 25 एकड़ ज़मीन की डिटेल्स, राजस्व कागज़ात समेत, 3 अक्टूबर को ज़ेडएसडब्लूओ को भेज दी थीं.

16 अक्तूबर को ज़ेडएसडब्लूओ ने राजस्व विभाग को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि ये ज़मीन, सैनिक कॉलोनी बनाने के लिए मुनासिब है.

सीनियर अधिकारी ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘ज़िला प्रशासन द्वारा चिन्हित की गई ज़मीन का विस्तृत ब्योरा, ज़िला सैनिक कल्याण ऑफिस की ओर से फॉरवर्ड किया गया था, जिसने ज़मीन के उस टुकड़े को उपयुक्त करार दिया था. अब ज़िला ऑफिस ज़मीन के औरचारिक तबादले का अपना निवेदन, राजस्व विभाग को भेजेगा. इस निवेदन को गृह विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय से मंज़ूरी की ज़रूरत होगी’.

केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, इस सुविधा की स्थापना का काम बहुत समय से लंबित था क्योंकि इस विषय में काफी गलत खबरें फैलाई गईं थीं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा कहा गया है कि सरकार बाहर से सैनिकों को लाकर, उन्हें यहां बसाना चाहती है. ये बिल्कुल सही नहीं है. प्रस्तावित सुविधा पहले उन पूर्व-सैनिकों की ज़रूरतें पूरी करेगी, जो जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी हैं. वो राज्य के नागरिक थे, और अब यहां के वासी हैं’.

‘रूपरेखा अभी तैयार होनी है’

ऊपर हवाला दिए गए केंद्र सरकार के अधिकारी ने कहा, कि कश्मीर घाटी में करीब 8,000 पूर्व-सैनिक हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘बहुत से रिटायर्ड पूर्व सैनिक गुरेज़ या तंगधार जैसे दूर-दराज़ के इलाक़ों में रहते हैं. वो चाहते हैं कि उनके बच्चे भी आईएएस और आईपीएस बनें. वो चाहते हैं कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा और अवसर मिलें. अगर वो श्रीनगर या आसपास के ज़िलों में आवास चाहते हैं, तो उन्हें ये मौका दिया जाना चाहिए’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा, एक मुद्दा सुरक्षा का भी है. पिछले कुछ सालों में, हमने 3-4 पूर्व सैनिकों की हत्याएं होते देखी हैं. कुछ सेवारत सुरक्षाकर्मी भी मारे गए, जब वो छुट्टियों में घर गए हुए थे. ये सभी चिंताएं वास्तविक हैं’.

अधिकारी ने कहा कि जम्मू में तीन सैनिक कॉलोनियां हैं- दो पूर्व सैनिकों के लिए और एक युद्ध विधवाओं के लिए.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसी चीज़ का कश्मीर में होना, कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए, खासकर इसलिए भी कि ये सभी लोग, केंद्र-शासित प्रदेश से हैं. इसके अलावा, पूर्व सैनिक इन सुविधाओं को सरकारी दरों पर खरीदेंगे. वो सारी रूपरेखा अभी तैयार की जानी है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: MSP की लड़ाई में न फंसे- भारत को WTO कानूनों में मौजूद असमानता को दूर करने का प्रयास करना होगा


 

share & View comments