नई दिल्ली: अक्सर सासंद साइकिल या बाइक से संसद पहुंचने पर सुर्खियों में आ जाते हैं. लेकिन हरियाणा के दुष्यंत चौटाला ने साल 2017 में ट्रैक्टर ले जाकर सबको चौंकाया. इसके साथ ही 2014 लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद वो पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर लाइमलाइट में भी आए.
बता दें कि जेबीटी घोटाले में सजा काट रहे अपने पिता अजय चौटाला की गैर-मौजूदगी के चलते हिसार से 2014 लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके ठीक एक साल बाद दिसंबर 2018 में ताऊ देवी लाल की बनाई पार्टी इनेलो से अलग होकर जेजेपी (जन नायक जनता पार्टी) बना ली.
फरवरी 2019 में जींद के उपचुनाव में जेजेपी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन से इनेलो के कई नेता जेजेपी के पाले में आते चले गए. लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के बाद जेजेपी इस बार बहुजन समाज पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में उतरी. लेकिन बाद में सीटों के बंटवारे को लेकर ये गठबंधन टूट गया. ऐसे में जेजेपी ने अकेले ही 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे.
जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला ने दिप्रिंट से इंटरव्यू में अपनी रणनीति को लेकर बात की थी.
इस इंटरव्यू में मनोहर लाल खट्टर के हरियाणा के नेताओं पर परिवारवाद के आरोप का जवाब देते हुए दुष्यंत कहा था, ‘भाजपा के अलग-अलग राज्यों के नेताओं का रिकॉर्ड देखें आप. वसुंधरा राजे के बेटे लोकसभा सदस्य हैं. भाजपा परिवारवाद का आरोप लगाए तो सही नहीं लगता है.’
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्रा सिंह से तीन लाख वोटों से दुष्यंत चौटाला चुनाव हार गए. इस चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने 10 सीटों पर भारी बहुमत से सीट दर्ज की थी. लेकिन पिछले 15 दिन में हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदलती सी गई है. कांग्रेस की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास गई. जेजेपी ने कई बड़े नेताओं को अपने साथ जोड़ा.
हिसार के एक बुजुर्ग ने दिप्रिंट को बताया था कि ‘यो छोरा है तो नया लेकिन अपनी नई दुकान में कई सारे सामान रख लिए हैं. यो आगे तक जाएगा.’
फिलहाल, दुष्यंत चौटाला उचाना कलां सीट से शुरुआती रुझान में आगे चल रहे हैं. उनका मुकाबला भाजपा की प्रेमलता से है. बाढ़ड़ा विधानसभा सीट से नैना चौटाला 6000 वोटों से आगे चल रही हैं. उनके बाद कांग्रेस के रणबीर सिंह दूसरे नंबर हैं. भाजपा यहां पर तीसरे नंबर पर चल रही है.