(संजय कुमार डे)
रांची, 11 अक्टूबर (भाषा) जल्द ही रांची में झारखंड की पहली साइंस सिटी और जमशेदपुर व धनबाद में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि राज्य में “वैज्ञानिक पर्यटन” और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले में विज्ञान केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा है।
झारखंड विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार परिषद (जेसीएसटीआई) के कार्यकारी निदेशक डॉ. राज शेखर प्रसाद ने बताया कि वर्तमान में झारखंड का एक क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र रांची में है, सरकार ने अब इसका साइंस सिटी के तौर पर उन्नयन करने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए 26 एकड़ अतिरिक्त भूमि पहले ही उपलब्ध करा दी गई है।
प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “रांची स्थित क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र 17 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। साइंस सिटी एक बड़ी परियोजना है, और प्रत्येक राज्य में केवल एक ही स्थापित की जाती है। इसलिए, क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र को साइंस सिटी में उन्नत करने के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता थी। रांची प्रशासन ने क्षेत्रीय केंद्र से सटी 26 एकड़ भूमि आवंटित की है।”
जेसीएसटीआई एक सरकारी निकाय है, जो राज्य में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
प्रसाद ने कहा कि राज्य के पहले ‘साइंस सिटी’ के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) द्वारा तैयार की गई है, जो केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त सोसायटी है, जिसे राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी का इंतजार है।
उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा जाएगा।
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र में वर्तमान में प्रदर्शनियों के लिये तीन दीर्घाएं हैं। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी।
प्रसाद ने कहा कि विज्ञान नगरी के रूप में इसके उन्नयन के बाद इसमें छह और प्रदर्शनी दीर्घाएं जोड़ी जाएंगी।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना पर लगभग 270 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
प्रसाद ने बताया कि जमशेदपुर और धनबाद में दो क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र भी प्रस्तावित हैं और परियोजना की प्रक्रिया जारी है।
उन्होंने बताया कि दोनों शहरों का चयन उनकी जनसंख्या के आधार पर किया गया है।
भाषा प्रशांत सुभाष
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