नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बच्चों की देखभाल के लिए एक महिला न्यायिक अधिकारी को छुट्टी देने से इनकार करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को झारखंड सरकार और उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से जवाब तलब किया। महिला न्यायिक अधिकारी बच्चे की एकल अभिभावक हैं।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से संबंधित एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) की याचिका का संज्ञान लिया।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपने बच्चे की देखभाल के लिए छह महीने की छुट्टी नहीं दी गयी।
प्रधान न्यायाधीश ने आदेश दिया कि प्रतिवादी राज्य सरकार और अन्य को आज ही नोटिस जारी किया जाए। न्यायालय उनकी याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।
महिला न्यायिक अधिकारी ने जून से दिसंबर तक छह महीने की छुट्टी मांगी है।
शुरू में प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि महिला न्यायिक अधिकारी ने पहले झारखंड उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया।
एडीजे की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश के मद्देनजर यह संभव है कि याचिका पर उचित तत्परता से विचार न किया जाए।
उनके वकील ने कहा, ‘‘वह (एडीजे) समाज के सबसे निचले तबके से संबंधित एकल अभिभावक हैं।’’
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का सेवा रिकॉर्ड भी प्रभावशाली है और उन्होंने ढाई साल में 4,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है।
न्यायिक अधिकारियों पर लागू बच्चों की देखभाल से संबंधित छुट्टियों के नियमों के अनुसार, एडीजे अपने सेवाकाल के दौरान 730 दिनों तक की छुट्टी पाने की हकदार हैं।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान मामले में, वह (एडीजे) केवल छह महीने की छुट्टी मांग रही हैं।
भाषा सुरेश दिलीप
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