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शनिवार, 10 मई, 2025
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झारखंड सरकार की संवर्धित चावल वितरण की योजना, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता जतायी

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(संजय कुमार डे)

रांची, 11 सितंबर (भाषा) झारखंड में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया (खून की कमी) की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार 24 जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से संवर्धित चावल वितरित करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ‘चावल पोषण संवर्धन योजना’ (आरएफएस) को लेकर चिंता जताते हुए दावा किया है कि संवर्धित चावल के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का, विशेष रूप से थैलेसीमिया और ‘सिकल सेल एनीमिया’ रोगों से ग्रस्त लोगों पर, ठीक से अध्ययन नहीं किया गया है।

राज्य के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के निदेशक दिलीप टिर्की ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वे इस योजना को शुरू करने के लिए सरकार से आधिकारिक पत्र मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा है। हम झारखंड के 24 जिलों में इस योजना को लागू करने के लिए तैयार हैं। राज्य की 65 चावल मिल में से 44 में सम्मिश्रण इकाइयां स्थापित की गई हैं।’’

उन्होंने कहा कि राज्य की सभी मिल में चरणबद्ध तरीके से सम्मिश्रण इकाइयां स्थापित की जाएंगी।

‘भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (एफएसएसएआई) के अनुसार, खाद्य संवर्धन का अर्थ भोजन में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाना है ताकि भोजन की पोषण गुणवत्ता में सुधार हो।

झारखंड मंत्रिमंडल ने एक सितंबर को पीडीएस के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत आने वाले लाभार्थियों के बीच आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 के मिश्रण वाले संवर्धित चावल के वितरण के कार्यक्रम को मंजूरी दी थी।

टिर्की ने कहा, ‘‘कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राज्य में कुपोषण और एनीमिया की समस्या से निपटना है।’’

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में पांच साल से कम उम्र के लगभग 39.6 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, झारखंड में 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की 65.3 प्रतिशत महिलाएं और छह से 59 महीने के बीच के 67.5 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं।

विभाग ने पिछले साल पूर्वी सिंहभूम जिले के दो प्रखंडों -धालभूमगढ़ और चाकुलिया- में नौ महीने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की थी।

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘दो प्रखंडों में पायलट परियोजना सफल रही, लेकिन खाद्य अधिकार कार्यकर्ताओं ने योजना के कार्यान्वयन पर चिंता जताई है।’’

‘राइट टू फूड कैंपेन’ के सदस्य बलराम ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘केंद्र के नियम कहते हैं कि सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के रोगियों को आयरन संवर्धित भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन, हमने पाया कि पीडीएस स्टोर में ऐसे लाभार्थियों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।’’

उन्होंने कहा कि दो प्रखंडों में पीडीएस डीलर, अग्रिम पंक्ति के पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को संवर्धित चावल के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी नहीं थी।

भाषा शफीक नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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