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Friday, 22 November, 2024
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झारखंड में 17 लाख से अधिक किसान कर्ज़दार, चार लाख को ही मिलेगा कर्ज़माफी का लाभ

झारखंड के राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 39 लाख किसान हैं. इसमें 18 लाख को केंद्र सरकार प्रायोजित किसान क्रेडिट कार्ड मिल चुका है.

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रांची: ऊपर बादल गरज रहे हैं, नीचे किसान कराह रहे हैं. झारखंड के कई हिस्सों में बीते एक हफ्ते से रुक-रुक कर बारिश हो रही है. शुक्रवार को रांची जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बेड़ों में किसानों ने मटर की फसल बीच सड़क पर फेक दी. ओले गिरने से मटर में दाग पड़ गए थे. उसके खरीददार नहीं मिले. व्यापारी कहते हैं बाहर मंडी में भेजने पर वह रास्ते में सड़ जा रहे हैं.

लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड की महिला किसान नीलीमा तिग्गा कहती हैं कि उनका एक एकड़ में लगा मिर्च, बोदी, कद्दू का फसल इस बारिश में पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. उनके ऊपर 50 हजार रुपए का कर्ज भी है. उनके मुताबिक रबी फसल में फूलगोभी, बंदगोभी, शिमला मिर्च, करेला, नेनुआ, बोदी जैसे फसलों को भी भारी मात्रा में नुकसान हुआ है.

बीते 17 फरवरी को गुमला जिले के किसान दिग्विजय कुमार (47) ने ट्रेन में कटकर सुसाइड कर लिया. सुसाइड नोट में लिखा कि, ‘मैं एक किसान हूं. आर्थिक तंगी में आकर आत्महत्या कर रहा हूं. परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी है. बेटा हरिओम गोप ग्यारहवीं का छात्र है और वह घाघरा स्थित नवोदय विद्यालय में पढ़ता है.’

जिलाधिकारी की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक किसान के पास पांच एकड़ जमीन थी. कुछ साल पहले रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-साइकेट्री एंड अलाइड साइंस (रिनपास) में मानसिक रोग का इलाज भी चल रहा था.

सात हजार करोड़ से अधिक कर्ज, सरकार के पास मात्र दो हजार करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड के आंकड़ों को देखें तो राज्य में कुल 17.84 लाख किसानों ने 7,061 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है. इस लिहाज से देखें तो हरेक किसान औसतन 39,580 रुपए का कर्जदार है. इधर नई सरकार ने साल 2020-21 का बजट पेश कर दिया है. वादे के मुताबिक किसानों की कर्जमाफी की योजना शुरू कर दी गई है. इसके लिए कुल 2,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.

प्रावधान में ये भी कहा गया है कि पहले उन किसानों का कर्जमाफ होगा जिनका 50 हज़ार या इससे कम कर्ज है. कृषि विभाग के एक सूत्र के मुताबिक इसका लाभ फिलहाल 3.50 लाख किसानों को ही मिल पाएगा. बीते 20 फरवरी को रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा था कि एक माह के भीतर राज्य के लगभग चार लाख किसानों को फसल बीमा का लाभ दिया जाएगा. उनके बीच 625 करोड़ रुपए की राशि बांटी जाएगी.


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झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख

ऋणमाफी का लाभ केवल 4 लाख किसानों को क्यों? बड़े कर्जवाले क्या करेंगे? इस सवाल पर दिप्रिंट से बात करते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा, ‘मेरे पास फिलहाल 2000 करोड़ रुपए ही हैं. इसमें पहले छोटे किसानों का हित देखना है. उसमें उन किसानों का जिनका फसल बर्बाद हुआ है. मशीन खरीदनेवालों को फिलहाल इस दायरे से बाहर रखेंगे. जहां तक 50 हजार रुपए कर्ज वाले किसानों की बात है, यह सीमा अभी पूरी तरह से फाइनल नहीं है. इसका दायरा बढ़ाया जाना है. बजट सत्र के बाद हम इसपर फैसला करेंगे. बाकि राज्यों में जो ऋणमाफी के मामले में गलती हुई है, उसे झारखंड में नहीं दोहराएंगे.’

छत्तीसगढ़ में भी ठगे गए किसान

कांग्रेस ने चुनावी घोषणा में कहा कि कर्जमाफ करेंगे. बाद में कहा कि उन्हीं किसानों का कर्जमाफ होगा जिनका दो लाख रुपए से कम कर्ज है. इसके अलावा सहकारी और ग्रामीण बैंक से लिया कर्ज ही माफ होगा. राज्य के 34 लाख किसानों में मात्र 16 लाख ने ही इन दो बैंकों से कर्ज लिया था. यही नहीं, केवल अल्पकालिक ऋण ही चुकाने की बात कही है.

इस मसले पर झारखंड के मंत्री ने कहा, ‘किन बैंकों से लिए कर्ज सरकार माफ करेगी? प्राइवेट बैंकों ने तो छोटे किसानों को कर्ज दिया ही नहीं है, अगर दिया होगा तो पहले उसका हिसाब लेंगे, फिर भुगतान करेंगे.’ वहीं बारिश और ओला गिरने से फसल नुकसान के बारे में उन्होंने कहा, ‘इस बारिश से जो नुकसान हुआ है उसके लिए सरकार क्या उपाय कर रही है? पत्रलेख कहते हैं, ‘सभी जिलों को इसका आकलन करने को कहा गया है. सत्र खत्म होते ही मैं खुद इन जिलों का दौरा करूंगा और फसल क्षति का आकलन करूंगा. इसके तुरंत बाद किसानों को भुगतान किया जाएगा.’

जानकारी के मुताबिक अल्पकालिक ऋण 20-30 हजार रुपए का होता है. दीर्घकालिक ऋण कृषि यंत्र जैसे ट्रैक्टर, ट्राली आदि खरीदने के लिए लिया जाता है, जिसे 3-5 साल या फिर उससे अधिक तक चुकाने की सीमा होती है. दीर्घकालिक ऋण फसल की बुआई से कटाई तक की अवधि के लिए होती है. इस कर्ज की वसूली फसल बेचने के दौरान कर ली जाती है.

झारखंड के राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 39 लाख किसान हैं. इसमें 18 लाख को केंद्र सरकार प्रायोजित किसान क्रेडिट कार्ड मिल चुका है. राज्य सरकार की ओर से और 3.17 लाख किसानों को देने का अनुरोध किया गया है.

कार्ड के नियमों के मुताबिक कर्ज लेने पर सात प्रतिशत का ब्याज चुकाना पड़ता है. अगर किसान ऋण समय से चुकाते हैं तो उन्हें तीन प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है. पिछली सरकार अपने तरफ से तीन प्रतिशत कर्ज चुकाती थी. ऐसे में किसानों को मात्र एक प्रतिशत कर्ज चुकाना पड़ता था. बादल पत्रलेख कहते हैं, ‘जो तीन प्रतिशत ब्याज राज्य सरकार देती थी, उसका क्या? फिलहाल यह यथावत है, लेकिन इसकी भी समीक्षा करेंगे. इसके बाद इसपर कोई फैसला करेंगे.’

झारखंड के किसानों की मासिक आय मात्र 6991 रुपए

अगस्त 2018 में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के मुताबिक झारखंड में एक किसान परिवार की कुल मासिक आय 6,991 रुपए मात्र हैं. यानी सलाना वह 83,892 रुपए कमाते हैं. चुनाव में सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर के प्रति घंटे का किराया 80-90 हजार रुपए होता है. वहीं डबल इंजन का प्रति घंटा 1.50 लाख से 1.75 लाख रुपए.

राज्य के किसानों का फसल बीमा बंद हो गया है. फसल बीमा की जगह 100 करोड़ रुपए का किसान सहायता कोष बनाया गया है. कृषि मंत्री के आप्त सचिव नीतेश कुमार के मुताबिक यह इसलिए किया गया है कि बीमा कंपनियां किसानों को समय पर पैसा देते नहीं थे. इसके बदले अब ग्राहक दोस्त की बहाली की जाएगी. वह किसानों के फसल का आकलन कर इस मद का पैसा उन्हें मुहैया कराएंगे.

इधर किसानों के उत्पाद को सही दाम दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) के तहत झारखंड को भी जोड़ा था. राज्य के कुल 11 जिलों के 19 मंडी ही इससे जुड़ पाए हैं.


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पूर्ववर्ती सरकार ने कहा था कि इससे 590 ग्रामीण हाट तक को इससे जोड़ेंगे. जिसका काम है किसानों को उनकी लागत से कम मूल्य पर उत्पाद बिक रहा है, उसे अधिक दाम दिलाना. यानी रांची में अगर 10 रुपए किलो टमाटर बिक रहा है और वही अगर किसी और जिले या राज्य में अधिक मूल्य पर बिक रहा है तो वहां से संपर्क कर बेच देना.

झारखंड में 32 हजार किसान इससे जुड़े हैं. लेकिन बमुश्किल 1000 किसान ही इसका लाभ ले पा रहे हैं. वहीं बीते साल तक देशभर में मात्र 14 प्रतिशत किसान इससे जुड़ पाए थे. ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए पिछली सरकार में किसानों को स्मार्टफोन भी मुफ्त कराया जा रहा था. इस सरकार में उस योजना को भी बंद कर दिया गया है.

(लेखक झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

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