जमशेदपुर, 24 मई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रघुबर दास ने शनिवार को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से झारखंड में इसी तरह के घोटाले की जांच करने का आग्रह किया और दावा किया कि दोनों घोटाले आपस में जुड़े हुए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड का शराब घोटाला, पहले जितना बताया गया था उससे कहीं अधिक बड़ा है। उन्होंने दावा किया, ‘‘घोटाले का आकार 100 करोड़ रुपये नहीं है, जैसा कि बताया गया था, बल्कि इसके 600-700 करोड़ रुपये से अधिक का होने का संदेह है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही वहां शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है। मैं एजेंसी से झारखंड में इसी तरह के घोटाले की जांच करने की अपील करता हूं, क्योंकि दोनों घोटाले आपस में जुड़े हुए हैं।’’
दास ने 32 विधायकों की ‘फंडिंग’ की भी सीबीआई जांच की मांग की, जिन्हें 22 अगस्त से 31 अगस्त, 2022 तक छत्तीसगढ़ भेजकर एक आलीशान होटल में ठहराया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के लोग जानना चाहते हैं कि उनकी यात्रा और ठहरने का भुगतान तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने किया था या शराब माफिया ने।’’
वर्ष 2018 में अपने कार्यकाल के दौरान शुरू की गई आबकारी नीति का जिक्र करते हुए ओडिशा के पूर्व राज्यपाल दास ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने हाल ही में राज्य कैबिनेट की बैठक में आबकारी नियम 2025 को मंजूरी देते हुए स्वीकार किया था कि उनकी (दास) सरकार द्वारा लाई गई नीति राज्य और लोगों के हित में थी।
दास ने कहा कि उनकी सरकार की आबकारी नीति से 2018-19 में 1,082 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो 2019-20 में करीब दोगुना होकर 2,009 करोड़ रुपये हो गया।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इसके अलावा हमारी सरकार ने राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके विपरीत, नयी आबकारी नीति 2025 इन क्षेत्रों में अधिक शराब की दुकानें खोलने को मंजूरी देती है। यह कदम युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेल रहा है।’’
सत्तारूढ़ दल पर कटाक्ष करते हुए दास ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता और झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन शराब के खिलाफ अभियान चलाते थे। अब उनके बेटे इसे बढ़ावा दे रहे हैं। यह बेहद खेदजनक है।’’
दास ने अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस मामले को रांची में आयोजित जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) की बैठक में चर्चा के लिए लाया गया था।
दास ने सवाल किया, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल बड़ा है या टीएसी?’’ उन्होंने कहा कि आदिवासियों के बढ़ते विरोध के बाद मुख्यमंत्री को मामले को टीएसी के समक्ष लाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
झारखंड में कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विनय कुमार चौबे की गिरफ्तारी पर दास ने दावा किया कि यह कार्रवाई सोरेन सरकार द्वारा खुद को बचाने का एक प्रयास है।
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश
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