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Saturday, 16 August, 2025
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झारखंड: दोषियों के उच्चतम न्यायालय जाने के बाद अदालत ने लंबित मामलों में एक हफ्ते में फैसला सुनाया

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नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) याचिकाओं के निपटारे में देरी के खिलाफ 10 दोषियों के उच्चतम न्यायालय का रुख करने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने उनकी उन अपीलों पर मात्र एक सप्ताह के भीतर फैसले सुना दिए जो वर्षों से लंबित थीं।

इन 10 दोषियों में से छह को मृत्युदंड सुनाया गया था। उन्होंने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसले वर्षों पहले सुरक्षित रखे जाने के बावजूद उनके निपटारे में देरी को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

शीर्ष अदालत ने दोषियों की याचिका पर विचार करने पर 14 जुलाई को सहमति जताते हुए राज्य सरकार और उच्च न्यायालय से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 21 जुलाई को मामले की सुनवाई की थी। दोषियों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय ने अलग-अलग तारीखों पर फैसला सुनाया।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया था कि आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अमित कुमार दास और बसंत कुमार महतो के मामले में उच्च न्यायालय ने क्रमशः 16 जुलाई और 18 जुलाई को उनकी दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया तथा दास को जेल से रिहा कर दिया गया जबकि महतो फैसला अपलोड नहीं किए जाने के कारण जेल में ही है।

पीठ ने राज्य सरकार को बसंत कुमार महतो को जमानत बॉण्ड प्रस्तुत करने की शर्त पर रिहा करने का निर्देश दिया।

आजीवन कारावास की सजा काट रहे निर्मल भेंगरा नाम के दोषी के मामले में पीठ ने कहा कि दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उसकी याचिका उच्च न्यायालय ने 18 जुलाई को खारिज कर दी थी।

पीठ ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता से तुरंत संपर्क करें और अगर वह निजी वकील की सेवाएं लेने की स्थिति में नहीं है, तो उसे नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करें ताकि वह अदालत में अपने मामले के समाधान या छूट के लिए अपील कर सके।

इसने कहा कि मृत्युदंड का सामना कर रहे नितेश साहू की याचिका भी खारिज कर दी गई है और उसके मामले में भी इसी तरह का रास्ता अपनाया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले दो अन्य दोषियों सनातन बास्की और सुखलाल मुर्मू के मामले में उच्च न्यायालय ने 17 जुलाई को फैसला सुनाया था। इस मामले में मतभेद के बाद इसे किसी तीसरे न्यायाधीश को भेज दिया गया था।

पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वह इन मामलों की सुनवाई करें और जल्द से जल्द इनका निपटारा करने का प्रयास करें।

इसने यह भी कहा कि मौत की सजा पाने वाले तीन अन्य दोषियों गांधी उरांव, रोहित राय और बंधन उरांव के मामले में उच्च न्यायालय ने 18 जुलाई को फैसला सुनाया था और उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।

शीर्ष अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को गांधी उरांव, रोहित राय एवं बंधन उरांव से संपर्क करने और शीर्ष अदालत में अपील दायर करने या उपयुक्त प्राधिकारियों के समक्ष क्षमादान की याचिका दायर करने में उनकी सहायता करने को कहा।

आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रताप साही के मामले में भी इसी तरह के निर्देश दिए गए। उसकी अपील पर आदेश लंबित रहने के दौरान उसकी सजा पहले ही निलंबित कर दी गई थी।

इन 10 लोगों में से नौ रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में कैद थे जबकि एक दुमका जिले की केंद्रीय कारागार में था।

शीर्ष अदालत ने उन सभी उच्च न्यायालयों से रिपोर्ट मांगी है जिनमें मामले निर्णय के लिए सुरक्षित रखे जाने के बाद वर्षों से लंबित हैं।

इसने मामले की सुनवाई 22 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

भाषा सिम्मी नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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