नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई)-मेन और नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (नीट) को स्थगित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया, इन परीक्षाओं का संचालन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के लिए दिशानिर्देश लेकर आई है.
निर्देशों के अनुसार, सितंबर के पहले सप्ताह में निर्धारित जेईई-मेन के लिए आवेदन करने वालों को एक फोटो के साथ स्व-घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें कोविड-19 निगेटिव होने की बात और हाल के दिनों में बुखार, सूखी खांसी या सांस लेने में कठिनाई से जुड़ी जानकारी होगी.
इस फॉर्म को परीक्षा केंद्र में जमा करना होगा जिसे परीक्षा केंद्र अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा और उम्मीदवार द्वारा हस्ताक्षरित होगा.
एनटीए ने सोमवार देर शाम अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर ये निर्देश अपलोड किए और परीक्षा के लिए उपस्थित होने वाले सभी उम्मीदवारों को अनिवार्य रूप से दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.
एनटीए निर्देश कहता है, ‘उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे निर्देश और सलाह पत्र का पालन करें.’
जल्द ही नीट उम्मीदवारों के लिए भी इसी तरह के निर्देश जारी किए जाने की संभावना है.
एनटीए ने कहा कि एडमिट कार्ड इस बार चार पेज का होगा, जिसमें एक पेज का अंडरटेकिंग फॉर्म होगा.
एनटीए की वेबसाइट पर जारी नोटिस के मुताबिक, ‘परीक्षा के दिन, उम्मीदवार को परीक्षा केंद्र पर आना होगा, पेज-1 पर एडमिट कार्ड पर दिए गए (उपक्रम को उसके हस्ताक्षर को छोड़कर, जो उसके लिए आवश्यक होगा, को छोड़कर अन्वेषक की उपस्थिति). यह अंडरटेकिंग एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के समय भरे हुए ऑनलाइन के अलावा है.’
नोटिस में आगे लिखा है, ‘मौजूदा कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए, एनटीए ने परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए सभी प्रयास किए हैं. छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता/अभिभावकों से भी अनुरोध है कि वे निर्देशों और सलाहों का ईमानदारी से पालन करते हुए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में परीक्षा के सफल आयोजन के लिए एनटीए के साथ सहयोग करें.’
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परीक्षा की तारीख
जेईई-मेन की परीक्षा 1-6 सितंबर के बीच आयोजित किया जाना है, जबकि नीट की परीक्षा 13 सितंबर को निर्धारित है. देश में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के कारण, छात्र परीक्षा को आगे बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं जिसे पहले ही दो बार स्थगित किया जा चुका है.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई याचिका में केवल ‘सामान्य स्थिति बहाल होने’ पर ही परीक्षा आयोजित करने का आग्रह किया गया था.
वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में कहा गया था, ‘इतने खतरनाक समय में भारत भर में परीक्षा आयोजित करना लाखों युवा छात्रों (यहां याचिकाकर्ताओं सहित) के जीवन को खतरे में डालने के अलावा और कुछ नहीं है. अभी कुछ समय के लिए इंतजार करना सही हो सकता है, कोविड-19 संकट कम होने दें और उसके बाद ही इन परीक्षाओं का आयोजन करें, ताकि छात्रों और उनके अभिभावकों के जीवन को बचाया जा सके.’
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि ‘छात्रों के कीमती साल को बर्बाद नहीं किया जा सकता है और जीवन को आगे बढ़ना है.’
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