scorecardresearch
Tuesday, 19 November, 2024
होमदेशप्रदूषण के मुद्दे पर उद्यमियों को पर्यावरण मंजूरी के लिए मंत्रालय आने की जरूरत नहीं : जावड़ेकर

प्रदूषण के मुद्दे पर उद्यमियों को पर्यावरण मंजूरी के लिए मंत्रालय आने की जरूरत नहीं : जावड़ेकर

जावड़ेकर ने मीडिया, फिल्म और विज्ञापन सहित अन्य क्षेत्रों में स्वनियमाक संस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सभी औद्योगिक क्षेत्रों में भी संस्थागत स्वनियमन की पैरोकार है.

Text Size:

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रसायन उद्योग जगत के उद्यमियों से पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए ‘आत्म नियमन’ की नीति का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि मोदी सरकार सभी क्षेत्रों में आत्म नियंत्रण और नियमन के लिए संस्थागत विकास की नीति को लागू कर ऐसे उद्यमियों को पर्यावरण मंजूरी के लिए बार-बार मंत्रालय आने से मुक्ति देने को तैयार है, जो अपनी औद्योगिक इकाई का प्रदूषण बोझ बढ़ने को रोकने में कामयाब हैं.

जावड़ेकर ने सोमवार को रसायन उद्योग क्षेत्र द्वारा ‘पर्यावरण हितैषी सतत विकास’ पर आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘अगर रसायन उद्योगों का प्रदूषण बोझ नहीं बढ़ता है तो उन्हें बार-बार मंत्रालय में आने की जरूरत नहीं रहेगी. हम उन्हें (रासायनिक उद्योगों) जिम्मेदारी के निर्वाह के साथ स्वतंत्रता (रिस्पांस्बिल फ्रीडम) देने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें पर्यावरण की सजगता से देखभाल करने की प्रणाली संस्थागत आधार पर विकसित करनी होगी.’

उल्लेखनीय है कि रासायनिक क्षेत्र के उद्योगों को अपनी औद्योगिक गतिविधियां जारी रखने के लिए निश्चित समयांतराल के बाद पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है. इसके लिए उन्हें यह बताना होता है कि पिछली मंजूरी के दौरान औद्योगिक इकाई से पर्यावरण पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा है.

उन्होंने देश के सतत विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण को अनिवार्य अंग बताते हुए कहा कि पर्यावरण के लिए संकटकारी बने प्लास्टिक का इस्तेमाल समस्या का कारण नहीं है, बल्कि प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन नहीं हो पाने के कारण प्लास्टिक को पुन: उपयोग में लाये जाने योग्य नहीं बना पाना समस्या की मूल वजह है.

इस दौरान जावड़ेकर ने रासायनिक उद्योग जगत के कारोबारियों से कचरा प्रबंधन, अधिकतम जल संचयन और पानी को पुन: प्रयोग में लाए जाने पर की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इन उपायों के साथ ही भारत का रसायन उद्योग क्षेत्र सतत विकास को सुनिश्चित कर सकता है.

उन्होंने कहा ‘आज भारत के रासायनिक उद्योग जगत की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी तीन प्रतिशत है, इसे दस प्रतिशत तक ले जाने के लक्ष्य को हासिल करने के पर्यावरण हितैषी उपाय सुनिश्चित कर भारतीय रासायनिक उद्योग जगत विश्व में नेतृत्व कर सकता है.’

जावड़ेकर ने मीडिया, फिल्म और विज्ञापन सहित अन्य क्षेत्रों में स्वनियमाक संस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि सरकार सभी औद्योगिक क्षेत्रों में भी संस्थागत स्वनियमन की पैरोकार है. इसके लिए उद्योग जगत को आत्म नियंत्रण की छूट देने के लिए सरकार तैयार है. लेकिन उन्हें मजबूत और प्रभावी स्वनियमन प्रणाली विकसित करनी होगी, तब ही सतत विकास के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

उन्होंने भारतीय कंपनी द्वारा एक ही उत्पाद के विनिर्माण में अलग-अलग देशों के लिए रसायनों की अलग-अलग मात्रा के इस्तेमाल की प्रवृत्ति को अनुचित बताते हुए कहा कि भारत के लिए कोई कंपनी जो उत्पाद बना रही है, उसकी गुणवत्ता किसी अन्य देश में ज्यादा अच्छी हो, यह उचित नहीं है.

जावड़ेकर ने आत्म नियमन के माध्यम से इस तरह की प्रवृत्ति से बचने की रासायनिक उद्योग जगत से अपील करते हुए कहा कि दीवाली पर प्रदूषण से बचने के लिए चलाए गए व्यापक अभियान की वजह से पटाखों के इस्तेमाल में देशव्यापी स्तर पर इस साल 70 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गयी है.

share & View comments