नई दिल्ली: हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग एक बार फिर से तेज हो गई है. रविवार को ऑल इंडिया जाट आरक्षण बचाओ महा आंदोलन (एआईजेएबीएम) के बैनर तले एकत्रित हुए जाट नेताओं ने भाजपा सरकार पर हमला बोला. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक यूपी, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश से आए जाट नेताओं का कहना है कि बीजेपी सरकार ने आरक्षण की मांग न मानकर उनके साथ धोखा किया है. जबकि आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को सात दिन के भीतर 10 फीसदी आरक्षण दे दिया गया.
भाजपा से नाराज चल रहे है जाट नेताओं ने कहा कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में मायावती का समर्थन करेंगे. यूपी के जाट नेताओं ने कहा है कि वो अपने समुदाय के लोगों से मायावती के लिए वोट डालने को कहेंगे, क्योंकि वो यूपी की एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने जाटों के आरक्षण दिए जाने का समर्थन किया है. मायावती ने हरियाणा में 2016 में जाट आंदोलन में सरकार द्वारा जाटों पर की गई कार्यवाई की कड़ी आलोचना की थी.
एआईजेएबीएम के मुख्य समन्वयक धरमवीर चौधरी ने दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, ‘पिछली सरकार (यूपीए) ने हमें केंद्र की नौकरियों में आरक्षण दे दिया था. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई तब वर्तमान एनडीए सरकार ने जान-बुझकर हमारे केस पर गंभीरता से बहस नहीं की. जिसके बाद से सरकार के आदेश को कोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमें केवल आश्वासन दे रहे हैं. हम सरकार को चुनौती देते हैं कि जाटों संग अब और बहानेबाजी नहीं चलेगी. हम उन 131 चुनावी क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे जहां जाट वोटरों की संख्या अधिक है.
धरमवीर चौधरी ने आगे बताया कि केंद्र सरकार ने 2015 में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के नेतृत्व में जाट आरक्षण के लिए एक समिति बनाई थी, लेकिन समिति उनसे एक बार भी नहीं मिली. जाट नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने इस मुद्दे को उठाने के अलावा यूपी चुनाव से पहले भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा अध्यक्ष और जाट नेताओं की मीटिंग की थी.
चौधरी ने आगे बताया कि उनके संगठन के लोगों ने अपने समुदाय से आह्वान किया कि वो अपने सांसदों का जूतों से स्वागत करें.
जाट आरक्षण की मांगें
हरियाणा में 30 फीसदी आबादी रखने वाला जाट समुदाय अपने लिए ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण चाहता है. हरियाणा में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने 2012 में स्पेशल बैकवर्ड क्लास के तहत जाट, जट सिख, रोड, बिश्नोई और त्यागी समुदाय को आरक्षण दिया था. यूपीए सरकार ने भी 2014 में हरियाणा समेत 9 राज्यों में जाटों को ओबीसी में लाने की घोषणा की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को पिछ़ड़ा मानने से इनकार कर यूपीए सरकार का ऑर्डर रद्द कर दिया. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी 19 सितंबर 2015 को खट्टर सरकार का भी जाटों सहित पांच जातियों को आरक्षण देने को जारी नोटिफिकेशन को वापस ले लिया.
इसके बाद 2016 में जाट समुदाय खट्टर सरकार पर नया विकल्प तलाशने का दबाव बनाने लगा और फरवरी 2016 में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय ने राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से चक्काजाम कर दिया. देखते ही देखते कुछ ही पलों में हिंसा फैल गई. इस आंदोलन में 16 लोगों की मौत हो गई थी और क़रीब तीन सौ लोग घायल हो गए. घायलों में पुलिसकर्मी भी शामिल थे.