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नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अपने जापानी समकक्ष जनरल नकातानी के साथ व्यापक वार्ता की। इस दौरान आतंकवाद की समस्या और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा हुई।
जनरल नकातानी की भारत यात्रा पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के बीच हुई है। उन्होंने आतंकवादी हमले की निंदा की तथा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में सिंह ने कहा, ‘‘मैं पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता की मजबूत अभिव्यक्ति के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत की जापान के साथ विशेष, रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी है। द्विपक्षीय बैठक के दौरान हमने रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की तथा सीमा पार खतरों से निपटने के लिए बेहतर सहयोग एवं संयुक्त प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया।’’
सिंह ने कहा कि नकातानी ने पहलगाम हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की तथा भारत को ‘‘पूर्ण समर्थन’’ देने की पेशकश की।
बताया जाता है कि दोनों पक्षों ने भारत-जापान रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया।
दोनों मंत्रियों ने वर्तमान क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
यह लाओ पीडीआर में आसियान रक्षा मंत्रियों की ‘मीटिंग-प्लस’ के अवसर पर नवंबर में हुई उनकी पहली मुलाकात के बाद छह महीने के भीतर दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच दूसरी बैठक थी।
उस बैठक में, सिंह और जनरल नकातानी ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच अधिक अंतर-संचालन के लिए आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान पर विचार-विमर्श किया था।
यदि पारस्परिक आपूर्ति एवं सेवा समझौता हो जाता है, तो इससे दोनों देशों की सेनाओं को उपकरणों की मरम्मत और आपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की सुविधा मिलने के साथ ही समग्र रक्षा सहयोग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
माना जाता है कि दोनों पक्षों ने पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर के रणनीतिक जलक्षेत्र में स्थिति की भी समीक्षा की, जहां बीजिंग अपनी सैन्य स्थिति बढ़ा रहा है।
भाषा नेत्रपाल माधव
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