पटना, 10 जनवरी (भाषा) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के बीच, उनकी जन सुराज पार्टी ने परीक्षा रद्द करने का अनुरोध करते हुए पटना उच्च न्यायालय का रुख किया है। किशोर के अधिवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिवक्ता प्रणव कुमार ने बताया कि याचिका पर 15 जनवरी को सुनवाई होगी जिसमें 13 दिसंबर को आयोजित बीपीएससी की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं को उजागर किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला आज न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। मामले पर 15 जनवरी को सुनवाई होगी।’’
प्रणव ने कहा, ‘‘हमने अपनी याचिका में राज्यभर में आयोजित परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितता का उल्लेख किया है। खासतौर पर परीक्षा हॉल में लोगों द्वारा मोबाइल फोन ले जाने के मामले को रेखांकित किया है जहां जैमर नहीं थे। कई स्थानों पर परीक्षार्थियों ने एक साथ बैठकर अपने प्रश्नपत्र हल किए।’’
अधिवक्ता ने दावा किया, ‘‘इस तरह की अनियमितताएं केवल बापू परीक्षा केंद्र में ही नहीं, बल्कि कई अन्य परीक्षा केंद्रों में भी देखी गईं। इसलिए, हमने पूरी परीक्षा को रद्द करने के साथ उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है जो अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।’’
राज्यभर में 900 से अधिक केंद्रों पर लगभग पांच लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। बापू परीक्षा केंद्र में 12,000 अभ्यर्थियों के लिए पुन: परीक्षा आयोजित की गई, जहां सैकड़ों परीक्षार्थियों ने प्रश्नपत्र लीक होने का आरोप लगाते हुए 13 दिसंबर की परीक्षा का बहिष्कार कर दिया।
बीपीएससी ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि परीक्षा रद्द करवाने के लिए ‘‘साजिश’’ रची गई है।
बापू परीक्षा केंद्र में अभ्यर्थियों के एक चुनिंदा समूह के लिए पुन:परीक्षा कराने के आयोग के फैसले पर अन्य अभ्यर्थियों ने नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें ‘‘समान अवसर’’ से वंचित किया गया।
इस परीक्षा को रद्द करने की अभ्यर्थियों की मांग का समर्थन करते हुए किशोर ने दो जनवरी को आमरण अनशन शुरू किया। हालांकि, चिकित्सकों ने उन्हें पुन: सामान्य आहार लेने की सलाह दी है लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।
जन सुराज पार्टी ने कहा कि अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से बात करके गतिरोध समाप्त करने पर सहमत हो जाते हैं तो किशोर अनशन तोड़ने पर विचार कर सकते हैं।
भाषा अनवर खारी
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