नई दिल्ली: तीन दशकों से अधिक समय के बाद, अधिकारियों ने गुरुवार को आठवीं मुहर्रम जुलूस को अपने पारंपरिक मार्ग से गुजरने की अनुमति दे दी.
प्रशासन ने जुलूस के लिए दो घंटे की अनुमति दी है. इसे सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच किया जाना है. विशेष रूप से, जुलूस शहीद गुंज से डलगेट के पारंपरिक मार्ग पर निकाला जा रहा है, एक मार्ग जिसे 1989 के बाद से जुलूसों के लिए बंद कर दिया गया था.
प्रशासन ने जुलूस के दौरान किसी भी कानून-व्यवस्था को न तोड़ा जाए, इसके लिए सभी सुरक्षा व्यवस्थाएं की हैं.
संभागीय आयुक्त (कश्मीर) विजय कुमार बिधूड़ी ने बुधवार को कहा, “हम ईमानदारी से चाहते थे कि आठवें जुलूस को उसके पारंपरिक मार्ग से ले जाने का लंबे समय से लंबित अनुरोध पूरा हो.”
उन्होंने कहा, हमने सभी पहलुओं को ध्यान में रखा है. चूंकि कल वर्किंग डे है, इसलिए मार्ग पर भारी यातायात रहेगी. इसलिए लोगों की सुविधा और उनकी (मुसलमानों) मांगों को प्राथमिकता देते हुए, जुलूस सुबह 6 से 8 बजे के बीच निकाला जाएगा.
गौरतलब है कि एक दिन पहले कश्मीर जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) विजय कुमार ने मुहर्रम की तैयारियों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी.
कर्मियों की तैनाती और तकनीकी संवर्द्धन, धार्मिक जुलूसों के प्रबंधन, भीड़ प्रबंधन, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने और शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने और यातायात प्रबंधन के संदर्भ में सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गई.
एसएसपी श्रीनगर को भीड़ जमा होने पर नजर रखने के लिए ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई.
एडीजीपी कश्मीर ने सभी नागरिकों से सतर्क रहने, किसी भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने और मुहर्रम को सभी के लिए एक सुरक्षित अवसर बनाने के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग करने का भी आह्वान किया.
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम मुसलमानों के बीच गहरा धार्मिक महत्व रखता है.
बता दें कि जुलूसों के दौरान भारत विरोधी प्रदर्शनों और नारों के बाद 1990 से शहर के केंद्र में मुहर्रम जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
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