श्रीनगर: जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने रविवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में 15-20 दिनों के लिए सभी 376 अधिसूचित और 62 जरूरी के अलावा जीवन-रक्षक दवाइयों का स्टॉक जमा है. हालांकि, प्रशासन ने स्वीकार किया कि कश्मीर घाटी में दो दिन से बेबी फूड की कमी थी लेकिन उसका समाधान हो गया है और ताजा स्टॉक पहुंच गया है.
प्रशासन ने एक बयान में कहा, “अब लगभग तीन सप्ताह के लिए पर्याप्त बेबी फूट स्टॉक में है.” यह बयान केंद्र शासित प्रदेश में दवाइयों के अपर्याप्त मात्रा में होने की ख़बरों के बाद आया है. प्रशासन ने कहा कि दवाइयों के ज्यादातर वितरक जम्मू में हैं और ऑर्डर मिलने के बाद दवाइयों की आपूर्ति करने में लगभग 14-18 घंटे लगते हैं.
प्रशासन के अनुसार, दवाइयां और बेबी फूड जल्दी से जल्दी निकालने के लिए जम्मू एवं चंडीगढ़ पर तीन-तीन व्यक्तियों को तैनात किया गया है. उप जिला अधिकारी स्तर का एक अधिकारी घाटी में आपूर्ति कर रहा है. जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के आदेश के बाद राज्य में कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं: राहुल
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर का दौरा करने की अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इससे संकेत मिलता है कि घाटी में हालात सामान्य नहीं हैं. राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के 12 नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर हवाईअड्डे पर उतरते ही रोक लिया गया. उन्हें वापस दूसरी उड़ान से दिल्ली भेजे जाने तक हवाईअड्डा पर ही प्रतीक्षा करनी पड़ी. वे शाम 6.45 बजे वापस दिल्ली पहुंचे.
दिल्ली पहुंचने पर राहुल गांधी ने संवाददाताओं को बताया कि कुछ दिनों पहले राज्यपाल ने उनको जम्मू-कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया था और उन्होंने उनके आमंत्रण को स्वीकार किया था. उन्होंने कहा, “हम लोगों का हालचाल लेना चाहते थे लेकिन हमें हवाईअड्डे से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई.” कांग्रेस नेता ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “हमारे साथ जो प्रेस के लोग थे, उनके साथ बदसलूकी की गई और उनको पीटा गया. इससे जाहिर है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं.”
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल घाटी का दौरा कर हालात का जायजा लेना चाहता था. घाटी में पांच अगस्त से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. पांच अगस्त को ही सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा की थी.
प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और के.सी. वेणुगोपाल, लोकक्रांति जनता दल (लोजद) प्रमुख शरद यादव, तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी, द्रमुक के त्रिचि शिवा, राकांपा नेता मजीद मेमन, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा और जनता दल (सेकुलर) के डी.कुपेंद्रा रेड्डी शामिल थे.
इससे पहले विपक्षी नेताओं को जब रोका गया तो राहुल गांधी ने श्रीनगर प्रशासन से कहा कि सरकार ने उनको राज्य का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा, “जब हम यहां आए हैं तो आप कह रहे हैं कि मुझे अनुमति नहीं है. यह हैरानी की बात है.” राहुल ने कहा, “सरकार कह रही है कि यहां सब कुछ सामान्य है. अगर ऐसा है तो यह काफी हैरानी की बात है कि हमें एयरपोर्ट से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.”
कांग्रेस नेता ने कहा, “हम ऐसे किसी इलाके में जाना चाहते हैं जहां शांति है और पांच से 10 लोगों से बात करना चाहते हैं. अगर धारा 144 लागू है तो मैं समूह में न जाकर अलग-अलग व्यक्तिगत रूप से जाना चाहते हैं.” घाटी में पांच अगस्त से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद से सुरक्षा कारणों से लॉकडाउन है.
जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को विपक्ष के नेताओं को सलाह दी थी कि वे यहां दौरे पर न आएं और राज्य में किए जा रहे शांति प्रयासों को बिगाड़ने का प्रयत्न न करें. श्रीनगर जाने से पहले भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि वह घाटी का दौरा कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के मकसद से नहीं कर रहे हैं. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह जिम्मेदार पार्टी के नेता हैं और वह वहां किसी प्रकार का कानून तोड़ने नहीं जा रहे हैं.
आजाद ने कहा, “सरकार कहती है कि जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति सामान्य है, लेकिन वह नेताओं को जाने की इजाजत नहीं देती है? ऐसा विरोधाभास कहीं नहीं देखा. यदि हालात सामान्य हैं, तो हमें वहां जाने से क्यों रोका जा रहा है?” इससे पहले राहुल गांधी और जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बीच ट्विटर वार हो गया था. राज्यपाल ने कहा था कि राहुल फर्जी खबरों पर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं और स्थिति का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रहे हैं.
राज्यपाल ने 12 अगस्त को राहुल गांधी को कहा था कि वह उनके लिए एक विमान भेजेंगे, ताकि वह खुद अपनी आंखों से देखें कि जमीनी हकीकत क्या है. इसके जवाब में राहुल ने कहा था कि उन्हें विमान नहीं चाहिए, सिर्फ यात्रा करने और लोगों से मिलने की अनुमति चाहिए.