नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते सप्ताह ये दावा किया कि देश के 50 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक नल का पानी पहुंच गया है. ये ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र में मोदी सरकार के आठ साल पूरे हुए हैं.
जल जीवन मिशन के आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 14 जून 2022 तक भारत के पांच राज्यों में 100 प्रतिशत नल का पानी पहुंच चुका है. ये राज्य हैं- गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप, पुडुचेरी, दादर नगर हवेली और हरियाणा.
वहीं पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और बिहार में 90 प्रतिशत से ज्यादा परिवारों तक नल का पानी पहुंच गया है.
ओडिशा, नागलैंड, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल, लद्दाख, मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल ऐसे कुछ राज्य हैं जहां नल से जल की पहुंच 50 प्रतिशत से भी कम है. उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान में नल से जल योजना की स्थिति काफी खराब है.
जल जीवन मिशन की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. आंकड़ों के अनुसार 15 अगस्त 2019 तक भारत के सिर्फ 16.89 प्रतिशत परिवारों तक ही नल से जल की पहुंच थी वहीं 14 जून 2022 को ये आंकड़ा बढ़कर 50.42 प्रतिशत पर पहुंच गया है. यानी की जब से ये योजना शुरू हुई है तब से 33.53 प्रतिशत यानी कि 6,42,31,378 परिवारों तक इस योजना से लाभ पहुंचा है.
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Now, over 50% rural households have provision of tap water supply.@PMOIndia @gssjodhpur @prahladspatel @PIB_India @mahajan_vini @mygovindia @iamvikassheel @MoJSDoWRRDGR @MoJSDDWS @PBNS_India pic.twitter.com/ZspeqSx5S2
— Jal Jeevan Mission I #AzadiKaAmritMahotsav (@jaljeevan_) June 7, 2022
जल जीवन संवाद के हालिया अंक के अनुसार स्कूलों और आंगनवाड़ी में भी 2019 के मुकाबले 2022 तक पानी का कनेक्शन काफी बढ़ा है. 30 अप्रैल 2021 तक 8.58 लाख स्कूलों में पाइप से पानी की सप्लाई होती है जो कि 2 अक्टूबर 2020 को सिर्फ 48,772 स्कूलों में ही थी. वहीं 8.86 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में पाइप के पानी की उपलब्धता है जो कि अक्टूबर 2020 को सिर्फ 25,092 आंगनवाड़ी केंद्रों तक सीमित था.
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जल जीवन मिशन
जल जीवन मिशन मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में की थी जिसके तहत 2024 तक ग्रामीण भारत के हर परिवार तक नल से साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन अभी तक सिर्फ आधा लक्ष्य ही पूरा हो पाया है और अब तकरीबन 2 साल का ही समय बचा है.
इस मिशन के तहत 3.60 लाख करोड़ रुपए के बजट का अनुमान लगाया है जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा 2.08 लाख करोड़ रुपए है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्र सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट और जारी किया था.
मार्च में केंद्र सरकार ने बताया था कि जल जीवन मिशन के तहत वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान उसने 60 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं, जो कि हर घर जल योजना की महत्ता को दिखाती है.
सरकार ने बताया था कि कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन और अन्य व्यावधानों के बावजूद 2.06 लाख करोड़ ग्रामीण परिवारों तक नल का जल पहुंचा है.
सरकार के अनुसार इस योजना में महिलाओं की भूमिका सबसे अहम है. महिलाएं पानी समिति और सर्विलांस कमिटी का हिस्सा है. 31 मार्च 2022 तक 4.78 लाख पानी समिति का गठन हो चुका है.
जल जीवन मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर फंड देने का प्रावधान है जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जिसमें विधानसभा नहीं है वहां 100 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देगी वहीं पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र और राज्य का हिस्सा 90:10 का है और अन्य राज्यों में 50:50 का हिस्सा है.
इसके अलावा सपोर्ट एंड वॉटर मॉनीटरिंग सिस्टम की गतिविधियों के लिए फंडिंग का पैटर्न हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच 90:10 का है वहीं अन्य राज्यों के बीच ये 60:40 का है.
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राज्य स्तर पर जल जीवन मिशन की क्या है स्थिति
जल जीवन मिशन की वेबसाइट के अनुसार भारत में 19,15,72,686 ग्रामीण परिवार हैं जिनमें से 15 अगस्त 2019 से पहले 3,23,62,838 (16.89%) परिवारों तक नल का जल पहुंच चुका था वहीं उसके बाद 50.42 प्रतिशत यानी कि 9.65,94,216 परिवारों तक इस योजना के तहत पानी पहुंचाया गया है. ये योजना शुरू होने के बाद 6.35 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल कनेक्शन मिला है.
जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि कोविड महामारी के दौरान तकरीबन 25 लाख परिवारों तक नल का जल पहुंचा है. हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि जल जीवन और स्वच्छ भारत मिशन के एक होने से लोगों के जीवन में सुधार हो रहा है.
देश के 108 जिलों, 1225 ब्लॉक्स, 72, 437 पंचायतों और 1,53,635 तक इस योजना का फायदा पहुंचा है. वहीं 15 अगस्त 2019 तक 3.20 लाख परिवारों को नल का जल मिल रहा था जो कि 14 जून 2022 को बढ़कर 9.65 लाख परिवारों तक पहुंच गया है.
आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में 82,62,187, 2020-21 में 3,23,09,097, 2021-22 में 2,08,36,648 और 2022-23 में 29,32,519 परिवारों तक नल का जल पहुंचा है.
पंजाब, बिहार, तेलंगाना, गुजरात ऐसे राज्य हैं जहां जल जीवन मिशन के तहत नल का जल 90 प्रतिशत से ज्यादा परिवारों तक पहुंचा है.
पंजाब में 34.3 लाख परिवार यानी कि 99.72 प्रतिशत, बिहार में 1.59 करोड़ परिवार यानी कि 92.75 प्रतिशत, गुजरात में 88.22 लाख (96.1 प्रतिशत), हरियाणा में 30.96 लाख (100 प्रतिशत) परिवारों तक जल जीवन मिशन के तहत नल का जल पहुंच गया है.
वहीं राजस्थान में सिर्फ 24.91 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 23.15 प्रतिशत, झारखंड में 20.69 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में सबसे कम 13.88 प्रतिशत कवरेज हुआ है, जो कि योजना शुरू होने से पहले 1.95 प्रतिशत था.
8 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की जिसके तहत राज्य के वलसाड़ जिले के पहाड़ी इलाकों में और 174 आदिवासी इलाकों के 4.50 लाख लोगों तक पीने का पानी पहुंचाना का लक्ष्य है. ये प्रोजेक्ट हर घर जल मिशन को और तेज करेगा. गुजरात सरकार ने सितंबर तक राज्य में 100 फीसदी परिवारों तक इस मिशन के तहत नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
बता दें कि 2019 में जल जीवन मिशन के शुरू होने के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में बिहार और तेलंगाना है. बिहार में जहां 2019 के बाद 90.91 प्रतिशत और तेलंगाना में 70.89 प्रतिशत परिवारों तक नल का जल की पहुंच हुई है.
हालांकि, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव राज्य में मिशन भागीरथ चला रहे हैं जिसका उद्देश्य लोगों तक साफ पानी पहुंचाना है. इसके तहत राज्य में 1.5 लाख किलोमीटर पाइपलाइन नेटवर्क बिछाया गया है और इसका बजट लगभग 46,123 करोड़ रुपए है.
2019 तक तेलंगाना में 29.11 प्रतिशत परिवारों तक नल का जल की पहुंच थी जो कि अब 100 फीसदी हो चुका है.
वहीं बिहार में 15 अगस्त 2019 तक सिर्फ 1.84 प्रतिशत यानी कि 3.16 लाख लोगों तक ही नल से जल की पहुंच थी लेकिन उसके बाद इस में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. अब बिहार में इसका कवरेज बढ़कर 92.75 प्रतिशत परिवारों तक हो चुका है. यानी की जल जीवन मिशन के बाद 90.91 प्रतिशत घरों तक साफ नल का पानी पहुंचा है.
गौरतलब है कि 2015 में जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने राज्य में लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए हर घर नल का जल योजना शुरू की थी. इसके तहत चार योजनाएं शुरू की गईं जिनमें मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र), मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना (गैर गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र) और मुख्यमंत्री शहरी पेयजल निश्चय योजना.
बिहार सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में 71.16 लाख परिवारों तक साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा था लेकिन सिर्फ 26.39 लाख परिवारों को ही ये मुहैया कराया गया.
बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत सरकार ने बिहार को जल जीवन मिशन के लिए 1832.66 करोड़ रुपए दिए थे. 2019 से अब तक केंद्र सरकार ने बिहार को कुल 6600 करोड़ रुपए जल जीवन मिशन के तहत दिए हैं.
बिहार के सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रुड़ी ने लोकसभा में सवाल किया था कि राज्य सरकार केंद्र द्वारा जारी किए गए फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है. इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने जवाब दिया था कि बिहार ने आवंटित किए पैसे का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि राज्य सरकार का दावा है कि उनकी योजना के तहत 90 प्रतिशत परिवारों तक नल का जल पहुंचाया जा चुका है.
जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि 2015 से हर घर नल का जल योजना चल रही है.
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