नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि भारत और चीन को संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए एक ‘स्पष्ट और रचनात्मक’ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जो आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और परस्पर हितों पर आधारित हो।
वांग के साथ बैठक में अपनी शुरुआती टिप्पणियों में विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच चार साल से अधिक समय से गतिरोध चल रहा है।
जयशंकर ने दो-दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद चीनी विदेश मंत्री के साथ व्यापक वार्ता की।
वांग की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की प्रस्तावित यात्रा से कुछ दिन पहले हो रही है।
साल 2020 में गलवान घाटी में घातक संघर्ष के बाद भारत-चीन के रिश्तों में गंभीर तनाव आ गया था। इसके मद्देनजर चीनी विदेश मंत्री की यात्रा को मोटे तौर पर दोनों पड़ोसी देशों द्वारा संबंधों के सुधारने के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को एक अन्य ‘प्रमुख प्राथमिकता’ बताया तथा उन ‘विशेष चिंताओं’ का भी जिक्र किया, जिन्हें उन्होंने पिछले महीने बीजिंग यात्रा के दौरान उठाया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संबंधों में एक कठिन दौर देखने के बाद, अब दोनों देश आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए दोनों पक्षों की ओर से एक स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।’’
विदेश मंत्री ने कहा, “इस कोशिश में हमें तीन परस्पर सिद्धांतों- परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित- से निर्देशित होना होगा। विभिन्नताएं विवाद का कारण नहीं बननी चाहिए और प्रतिस्पर्धा टकराव में नहीं बदलनी चाहिए।”
यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ सीमा मुद्दे को लेकर वार्ता करने के लिए दो-दिवसीय यात्रा पर दिल्ली आए हैं। विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता मंगलवार को होगी। वांग और डोभाल को सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के तौर पर नामित किया गया है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह (विशेष प्रतिनिधि वार्ता) बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति का आधार सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता है। यह भी आवश्यक है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़े।’’
वार्ता में आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों, तीर्थयात्राओं, लोगों से लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझाकरण, सीमा व्यापार और कनेक्टिविटी पर चर्चा हुई।
विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर भी चर्चा के पर्याप्त संकेत दिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक निष्पक्ष, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें बहुध्रुवीय एशिया भी शामिल हो। सुधारात्मक बहुपक्षवाद भी आज की आवश्यकता है। वर्तमान परिवेश में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखना और उसे बढ़ाना भी स्पष्ट रूप से आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के विरुद्ध लड़ाई हमारी एक और प्रमुख प्राथमिकता है। मैं विचारों के आदान-प्रदान की आशा करता हूं।’’
जयशंकर ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि यह चर्चा भारत और चीन के बीच एक स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध बनाने में योगदान देगी- ‘जो हमारे हितों की पूर्ति करेगा और हमारी चिंताओं का समाधान करेगा’।
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नोमान सुरेश
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