नयी दिल्ली,17 अप्रैल (भाषा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में शनिवार को हनुमान जयंती पर निकाली गयी शोभायात्रा पर पथराव के बाद भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने ‘ मुख्य षड्यंत्रकारियों’ सहित 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं, इलाके में रविवार को तनावपूर्ण शांति बनी रही और दंगा रोधी पुलिस सड़कों पर गश्त करती नजर आई और अधिकतर लोग घरों के अंदर ही रहे।
पुलिस ने बताया कि झड़प के सिलसिले में दो किशोरों को भी पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि मामलों को आगे की जांच के लिए अपराध शाखा को हस्तांतरित कर दिया गया है।
इस बीच, तनाव कम करने के लिए पुलिस ने रविवार को अमन समितियों के सदस्यों के साथ बैठक की और उनसे कहा कि वे अपने-अपने इलाकों में शांति बनाए रखने की लोगों से अपील करें।
आदर्श नगर की भाजपा पार्षद गरिमा गुप्ता ने हिंसा के लिए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया और अमन समिति की बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाने की कोशिश। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि बैठक में मौजूद पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा कि वह मुद्दे से भटक रही हैं।
पुलिस ने बताया कि जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हुई झड़प के दौरान पथराव और आगज़नी की घटनाएं हुई थीं, जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय व्यक्ति घायल हो गया था। कुछ गाड़ियों को भी आग लगा दी गई थी।
पुलिस ने बताया कि ‘सी’ और ‘डी’ ब्लॉक में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पुलिस ने हर 200 मीटर की दूरी पर अवरोधक लगाकर जवानों की तैनाती की है।
वहीं, दोनों समुदायों के कुछ सदस्यों ने हिंसा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जबकि कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि दोनों समुदाय के लोग दशकों से इलाके में एक साथ रहते आए हैं और उन्होंने हिंसा के लिये‘‘बाहरी’’लोगों को जिम्मेदार ठहराया।
भाजपा ने ‘‘अवैध प्रवासियों’’ की घटना में भूमिका की जांच की मांग करते हुए कहा कि पिछले 70 वर्षों से पिछली सरकारों द्वारा अपनाई जा रही ‘‘तुष्टिकरण की विचारधारा’’ देश भर में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए जिम्मेदार है।
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जो सत्ता में है उनमें सहानुभूति की कमी है और दिल्लीवालों से एकजुट रहने की अपील की।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम दिल्ली)उषा रंगनानी ने बताया कि शनिवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 120 बी (आपराधिक साजिश), 147 (दंगा) और शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया, ‘‘ कुल 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि दो किशोरों को भी पकड़ा गया है। तीन बंदूक और पांच तलवारें भी आरोपियों से बरामद की गई हैं।’’
डीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में एक आरोपी मोहम्मद असलम है, जिसने कथित रूप से गोली चलायी थी, जो एक उप-निरीक्षक को लगी थी।
उन्होंने बताया कि असलम (21) के पास से एक पिस्तौल भी बरामद की गई है, जिसका कथित तौर पर उसने शनिवार शाम अपराध के दौरान इस्तेमाल किया था। वह पहले भी एक मामले शामिल था।
रंगनानी ने बताया कि घायलों का इलाज बाबू जगजीवन राम स्मारक अस्पताल में किया जा रहा है। जिस पुलिस उपनिरीक्षक को गोली लगी थी, उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे ‘मुख्य षड्यंत्रकारियों’ में से एक, जहांगीरपुरी निवासी अंसार (35) हमले के दो मामलों में शामिल पाया गया है और पहले कई बार एहतियाती धाराओं के तहत गिरफ्तार किया जा चुका है।
विशेष आयुक्त (कानून और व्यवस्था-जोन 1) दीपेंद्र पाठक ने कहा, ‘‘जांच जारी है। सीसीटीवी और अन्य वीडियो फुटेज के आधार पर पहचान की आगे की प्रक्रिया की जा रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अभी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। हमने यहां अतिरिक्त बल तैनात किया है। हमने अमन समिति की बैठकें की हैं और क्षेत्रों के प्रमुख निवासियों के संपर्क में भी हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में शांति बनाए रखेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ड्रोन और चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हंगामा में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए किया जा रहा है।’’
पुलिस ने मामले में गिरफ्तार 14 लोगों को रविवार को स्थानीय अदालत में पेश किया।
ड्यूटी मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ने मोहम्मद असलम और एक अन्य सह-आरोपी मोहम्मद अंसार को सोमवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया, जबकि अन्य 12 आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
मामले के सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया और पुलिस ने आरोप लगाया कि अंसार और असलम मुख्य षड्यंत्रकारी थे जिन्हें 15 अप्रैल को ‘शोभा यात्रा’ निकाले जाने के बारे में पता चला और उन्होंने साजिश रची।
पुलिस ने कहा कि असलम और अंसार से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है ताकि बड़ी साजिश और अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाया जा सके।
सांप्रदायिक झड़प के केंद्र में रहे सी ब्लॉक पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है और सी ब्लॉक में मस्जिद के पास दुकानें बंद रहीं।
मस्जिद के पास सी ब्लॉक निवासी दुकानदार मुकेश ने कहा कि जिन लोगों ने इलाके में शांति भंग करने की कोशिश की, वे ‘‘बाहरी’’ रहे होंगे।
मुकेश ने कहा, ‘‘मैं यहां पिछले 35 साल से रह रहा हूं लेकिन इस इलाके में इस तरह की हिंसा कभी नहीं देखी। हिंदू और मुसलमान यहां शांति से रहते हैं। जुलूस में जो लोग शामिल थे, वे बाहरी रहे होंगे, न कि जहांगीरपुरी के स्थानीय लोग।’’
यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में हुईं झड़पों की जांच की जा रही है और सभी को नतीजे का इंतजार करना चाहिए।
भड़काऊ भाषणों और सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटनाओं पर संयुक्त बयान को लेकर सोनिया गांधी सहित विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए पात्रा ने कहा कि विपक्ष की यह ‘चुनिंदा राजनीति’ देश के लिए हानिकारक है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हिंदी में ट्वीट किया, “ दिल्ली सतर्क रहे.. दिल्ली सुरक्षित रहे.. दिल्ली सलामत रहे.. दिल्ली एकजुट रहे..।”
उन्होंने कहा, “ हिंसा, दंगों व उन्माद से धर्म-मज़हब ‘सुरक्षित’नहीं होने वाला, न कोई मज़बूत होगा, हां, हमारा भारत जरूर कमजोर होगा।”
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त राकेश अस्थाना से मुलाकात की और ज्ञापन देकर दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
अस्थाना को दिए ज्ञापन में विहिप के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करने में सक्षम नहीं है तो बजरंग दल के सदस्य अपने स्तर पर सुरक्षा की व्यवस्था करेंगे।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने रविवार को कहा कि उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में एक दिन पहले हुई हिंसा के दौरान कथित रूप से बच्चों का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखे एक पत्र में एनसीपीसीआर ने कहा कि कई बच्चों को पथराव करते और उस भीड़ में शामिल देखा गया, जिसने हिंसा शुरू की थी।
आयोग ने उल्लेख किया कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चों का इस्तेमाल करना एक अपराध है और अधिनियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
इसने कहा, ‘‘इस पत्र की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत की जानी चाहिए।’’
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 के फरवरी में उत्तर पश्चिम दिल्ली में हुए दंगे जिसमें करीब 50 लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे, उसके बाद शनिवार को पहली बार राष्ट्रीय राजधानी में संप्रदायिक झड़प हुई है।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप
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