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Saturday, 21 December, 2024
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लुटियंस में प्राइम लोकेशंस पर नहीं रहेंगे महिलाओं – विदेशी पत्रकारों के क्लब, बंगले खाली कराए जाने के बढ़े आसार

लुटियंस दिल्ली की प्राइम लोकेशन में स्थित इन दोनों क्लबों—इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) और फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया (एफसीसी)—की लीज आखिरी बार तीन महीने पहले बढ़ाई गई थी.

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लुटियन जोन स्थित दो सबसे पुराने पत्रकार क्लबों—इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) और फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया (एफसीसी)—की जमीन खाली कराए जाने की आशंका बढ़ गई है क्योंकि उनकी लीज अवधि 31 जुलाई को खत्म हो गई है.

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि मंत्रालय के तहत एक विभाग संपदा निदेशालय, जो दिल्ली में सरकारी बंगलों के आवंटन और लीज के नवीनीकरण से संबंधित है, ने दोनों क्लबों की लीज का नवीनीकरण नहीं किया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘आईडब्ल्यूपीसी और एफसीसी की लीज को रिन्यू नहीं किया गया है. और अभी तक दोनों क्लबों को कोई वैकल्पिक स्थान आवंटित करने का कोई निर्देश भी नहीं दिया गया है.’

दोनों पत्रकार क्लब प्राइम लोकेशन माने जाने वाले क्षेत्र में स्थित हैं. आईडब्ल्यूपीसी अशोक रोड स्थित 5 विंडसर प्लेस पर है, जबकि एफसीसी मथुरा रोड पर बंगला नंबर एबी-19 में है.

संपदा निदेशालय (डीओई) ने पिछली बार आईडब्ल्यूपीसी और एफसीसी की लीज 4 मई को एक मामूली अवधि के लिए 31 जुलाई 2022 तक के लिए रिन्यू की थी. इसने दोनों क्लबों को नोटिस भेजकर स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि उन्हें एक उपयुक्त आवास ढूंढ़ना चाहिए और 31 जुलाई को या उससे पहले यह भू-संपत्ति खाली कर देनी चाहिए.

मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि ऐसे समय में जब सीमित जगह की वजह से नए मंत्रियों, सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों को आवास देने का दबाव बढ़ रहा है, आईडब्ल्यूपीसी और एफसीसी को आवंटित इन दो प्रमुख बंगलों की लीज का नवीनीकरण होने की संभावना नहीं है.

पूर्व में उद्धृत अधिकारी ने कहा, ‘लुटियंस दिल्ली में सरकारी बंगलों के हकदार सभी लोगों को रहने की जगह देने के लिए आवासों की कमी है.’

1994 में स्थापित आईडब्ल्यूपीसी भारत की महिला पत्रकारों का पहला संघ है. इसकी शुरुआत 18 महिला पत्रकारों ने की थी लेकिन आज सदस्य संख्या 800 से अधिक हो गई है. आईडब्ल्यूपीसी की अध्यक्ष शोभना जैन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी लीज कल खत्म हो गई. लेकिन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की तरफ से हमने कुछ नहीं सुना है. हालांकि, उम्मीद है कि हमारी लीज को फिर से रिन्यू कर दिया जाएगा.’

भारत में कार्यरत विदेशी पत्रकारों की तरफ से 1958 में स्थापित फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया (एफसीसी) भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और तिब्बत को कवर करने वाले 500 से अधिक पत्रकारों और फोटोग्राफरों का एक समूह है.

एफसीसी साउथ एशिया के प्रेसिडेंट मुनीश गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा कि वह या क्लब की गवर्निंग काउंसिल इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेगी.

एफसीसी के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि क्लब को उम्मीद है कि सरकार इसकी लीज को रिन्यू कर देगी. उन्होंने कहा, ‘क्लबों को वरीयता के आधार पर रियायती किराये पर जगह आवंटित की गई थी. एफसीसी या आईडब्ल्यूपीसी दोनों के ही लिए बाजार दर पर प्राइम लोकेशन में संपत्ति किराए पर लेकर क्लब चलाना संभव नहीं है. यह एक खास जगह है जहां पत्रकार अपना काम करने और नेटवर्क बढ़ाने के लिए आते हैं.’

मोदी सरकार यह सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास कर रही है कि सरकारी बंगलों पर उन लोगों का कब्जा न हो जो वहां रहने के हकदार नहीं हैं. यहां तक कि एनडीए सरकार के पूर्व मंत्रियों को भी नहीं बख्शा गया है.

मार्च के बाद से संपदा निदेशालय ने या तो पूर्व मंत्रियों को जबरन बेदखल किया है या फिर बंगला खाली कर दिया है, जो अब मंत्री पद पर न होने के बावजूद बंगलों में काबिज थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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