कोलकाता: कोलकाता में पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भीतर पुराने और नए नेताओं के बीच एक और रस्साकशी शुरू कर दी है. ममता बनर्जी के वफादार माने जाने वाले शहर के मेयर फिरहाद हाकिम ने टीएमसी द्वारा शासित कोलकाता नगर निगम (केएमसी) द्वारा लिए गए फैसले को वापस ले लिया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के एक करीबी सहयोगी ने बढ़ोतरी के खिलाफ आवाज उठाई.
माना जाता है कि यह प्रकरण हाकिम के साथ अच्छा नहीं हुआ, जो शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के मंत्री भी हैं और ममता के मंत्रिमंडल में सबसे वरिष्ठ हैं. उनके करीबी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुख्यमंत्री ने उन्हें अधिसूचना वापस लेने का कोई आदेश नहीं दिया तो इसे वापस क्यों लिया जाना चाहिए? यह मामला सीएम और उनके बीच का है, कोई और इसे मीडिया के सामने क्यों लाए? यह एक प्रशासनिक मामला है और इसे प्रशासकों द्वारा ही देखा जाना चाहिए.’
जहां फिरहाद हकीम को ममता के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माना जाता है, वहीं टीएमसी के नेता अभिषेक बनर्जी को उनकी बुआ ममता बनर्जी का उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है.
हाकिम ने भले ही इस मामले पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की हो, लेकिन रविवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘लोग आएंगे, लोग जाएंगे लेकिन विकास का काम चलता रहेगा. आज का युवा कल नेतृत्व करेगा, चेतला (उनके निर्वाचन क्षेत्र) में एक नया फिरहाद हकीम पैदा होगा.’
सोमवार को उन्हें राज्य सचिवालय में ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करते देखा गया, जहां मुख्यमंत्री नई खरीदी गई एंबुलेंस को हरी झंडी दिखा रही थीं.
झगड़े के बीच, कोलकाता के महापौर को अप्रत्याशित हलकों से समर्थन मिला है जिसमें उनके प्रतिद्वंद्वी दल भाजपा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य भी शामिल थे.
एक बढ़ोतरी, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और एक रोलबैक
1 अप्रैल को, केएमसी ने पार्किंग शुल्क में वृद्धि करने के लिए एक अधिसूचना जारी की जिसमें दोपहिया वाहनों के लिए पहले घंटे के 5 रुपये से 10 रुपये तक और चार पहिया वाहनों के लिए समान अवधि में 10 रुपये के बजाय 20 रुपये शुल्क कर दिया गया. इसमें लंबे समय तक पार्किंग करने से जेब पर ज्यादा बोझ पड़ने की संभावना थी. तीन घंटे के लिए दोपहिया वाहन पार्क करने पर पहले के 15 रुपये (5 रुपये प्रति घंटे) के बजाय अब 40 रुपये खर्च करना पड़ेगा. इस बीच, चार पहिया वाहन को पांच घंटे के लिए पार्क करने पर 80 रुपये का खर्च आता था जबकि पहले के नियमों के मुताबिक यह चार्ज 50 रुपये के आसपास था.
इस फैसले के बाद टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष सामने आए, जिन्हें अभिषेक बनर्जी के करीबी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 7 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, जहां उन्होंने दावा किया कि पार्टी पार्किंग शुल्क में वृद्धि का समर्थन नहीं करती है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीएम को इस कदम के बारे में जानकारी नहीं थी.
घोष ने मीडियाकर्मियों से आगे कहा कि पार्टी के दूसरे नंबर के नेता अभिषेक बनर्जी ने सीधे ममता के सामने मामला उठाया है. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि निर्णय उनकी जानकारी या सहमति के बिना लिया गया था. वह आम आदमी पर बोझ डालने में विश्वास नहीं करती हैं इसलिए उन्होंने महापौर से अधिसूचना वापस लेने के लिए कहा है.’
उस दिन बाद में, केएमसी ने बढ़ोतरी को वापस लेने के लिए एक नई अधिसूचना जारी की. दिप्रिंट के पास 7 अप्रैल की ऑर्डर कॉपी है जिसमें लिखा है कि ‘पार्किंग शुल्क अगले आदेश तक पिछली दरों के अनुसार वसूला जाएगा.’
टीएमसी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने इसके तुरंत बाद इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया.
We thank @kmc_kolkata for ROLLING BACK the decision to hike parking charges in Kolkata.
In these tough times, GoWB or KMC will never burden people. Our pro-people stance remains unchanged. Your well-being and welfare will ALWAYS be our FIRST & FOREMOST PRIORITY! https://t.co/Ywv7K8mQrc
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) April 7, 2023
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हाकिम के समर्थन में प्रतिद्वंद्वी नेता
टीएमसी की नई ब्रिगेड द्वारा फिरहाद हाकिम को खुली फटकार ने भी राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
भाजपा पार्षद सजल घोष कोलकाता के महापौर के समर्थन में यह कहते हुए सामने आए कि शहर में पार्किंग शुल्क 2014 से नहीं बढ़ाया गया था और नई दरें भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगी. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘2014 के बाद से, कोई पार्किंग निविदा नहीं हुई है. टीएमसी समर्थित सिंडिकेट्स को ठेके दिए गए हैं और वे लोगों को लूट रहे हैं. नए ई-टेंडर से भ्रष्टाचार खत्म हो सकता था.’
सीपीएम नेता और पूर्व मेयर बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने दिप्रिंट को बताया कि नगर निकाय को अपने दम पर निर्णय लेने का अधिकार है और सरकार द्वारा इसकी निगरानी नहीं की जाती है. उन्होंने कहा, ‘नगर पालिकाओं को निर्णय लेने का कानूनी अधिकार है और उन्हें किसी भी मंजूरी या राज्य सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. कुणाल घोष या ममता बनर्जी नागरिक निकाय से संबंधित मामलों में अपनी नाक नहीं पोछ सकते.’
नए बनाम पुराने का झगड़ा नहीं
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ममता के वफादारों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व वाले युवा ब्रिगेड के बीच इस तरह की अंतर्कलह खुलकर सामने आई है. पिछले साल जनवरी में, वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने अभिषेक के कोविड प्रबंधन संबंधी सुझावों की आलोचना करते हुए कहा था कि वह ममता बनर्जी के अलावा किसी को अपना नेता नहीं मानते हैं. कोलकाता में संसदीय दल की बैठक के दौरान सीएम ने जल्द ही अपनी पार्टी के नेताओं को सार्वजनिक रूप से अपने मतभेदों को बढ़ने नहीं देने का आदेश दिया.
साथ ही इससे पहले भी पार्टी के अंदर दोनों गुटों के बीच कई बार झगड़ा सामने आया है. पिछले साल, एक अन्य सांसद, अपरूपा पोद्दार को लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में कल्याण बनर्जी के इस्तीफे की मांग करने के लिए फटकार लगाई गई थी.
पिछले साल अक्टूबर में, टीएमसी विधायक तापस रॉय ने सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय पर निशाना साधा था, जब भाजपा ने पूर्व टीएमसी छात्र नेता तमोघना घोष को बंद्योपाध्याय का करीबी कहा था जिन्हें उत्तरी कोलकाता का जिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. रॉय ने उस समय कहा था कि उनके करियर पर कोई धब्बा नहीं है.
उन्होंने बंद्योपाध्याय पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘मैं भ्रष्ट नहीं हूं और कभी जेल नहीं गया. हम सफेद हाथी नहीं हैं जो अमित शाह, पीएम या लोकसभा अध्यक्ष की प्रशंसा करते हैं.’ बता दें कि बंद्योपाध्याय 2017 में एक पोंजी स्कीम में कथित तौर पर संबंध के लिए गिरफ्तार किया गया था.
बंद्योपाध्याय ने तापस रॉय का नाम लिए बिना सार्वजनिक रूप से उन्हें जवाब दिया. उन्होंने उस समय कहा था, ‘मुझे बीजेपी के छोटे नेताओं से मिलने की जरूरत नहीं है. पीएम संसद में मेरे सामने बैठते हैं. एक कहावत है ‘हाथी चले बाजार…’ (जब बाजार में हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकते हैं).’
(संपादन: ऋषभ राज)
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