मुंबई, 31 अगस्त (भाषा)ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित संगीतकार ए आर रहमान ने कहा कि संगीत में समाज को आकार देने की शक्ति है तथा आज लोग ‘‘अच्छे संगीत और कविता के लिए लालायित’’ हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘दुनिया अब पहले जैसी सांस्कृतिक रूप से संरक्षित नहीं रही, अब यह कहीं अधिक खुली हो गई है। उदाहरण के तौर पर, हम तुर्की वाद्ययंत्रों पर भारतीय सुर बजा सकते हैं, और लोग अलग-अलग तरह की ध्वनियों का आनंद लेते हैं।’’
हाल ही में, 58 वर्षीय संगीतकार ने सोशल मीडिया का उपयोग करके तुर्किये के संगीतकार, पुणे के एक ढोल वादक और लखनऊ के एक शास्त्रीय गायक से संपर्क किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हर तरह का संगीत सुनता हूं। कभी-कभी मैं रेडियो पर, आईट्यून्स पर, स्पॉटिफ़ाई पर या रील्स पर सुनता हूं और किसी कलाकार को खोज लेता हूं। मैं उन्हें मैसेज करता हूं और वे जवाब देते हैं। यह अच्छा है — दुनिया सिकुड़ रही है।’’
रहमान ने कहा कि जब भी उन्हें अपने किसी गाने का रीमेक देखने को मिलता है, तो वह हमेशा उत्साहित हो जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जनता हूं। मैं सबसे पहले एक श्रोता हूं। मैं हमेशा देखता हूं कि मुझे क्या उत्साहित करता है और लोगों को क्या उत्साहित करेगा। जब तक लोग मुझे नजरअंदाज नहीं करते, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है (लोग मेरे गानों को फिर से बनाएं)।
तीन दशक से संगीत उद्योग में सक्रिय रहमान ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण संगीत की चाहत है और फिल्म संगीत की सराहना देखकर वे रोमांचित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘संगीत हमेशा एक अच्छी चीज़ होती है, और यह समाज को प्रभावित करता है। जब बुरा संगीत आता है, तो लोग भी बुरे बन जाते हैं। अच्छे बोल और अच्छी धुनें समाज को प्रेरित करती हैं। हम अराजकता में जी रहे हैं, और इस अराजकता को संगीत के ज़रिए और नहीं बढ़ाया जाना चाहिए; इसके विपरीत, संगीत को इन घटनाओं का इलाज बनना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘लोग अच्छी कविता और अच्छे संगीत की वापसी की लालसा कर रहे हैं।’’
रहमान फिलहाल आने वाली हिंदी फ़िल्म ‘‘उफ़्फ़ ये सियापा’’ की रिलीज़ का इंतज़ार कर रहे हैं — जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया है।
भाषा धीरज दिलीप
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