नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रविवार को कहा कि एक पश्चिमी विक्षोभ की मौजूदगी से जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों को सोमवार तक बढ़ते तापमान से कुछ राहत मिलने के आसार हैं. साथ ही उन्होंने गुजरात के कच्छ में अलग-अलग स्थानों पर गर्म हवा बने रहने की संभावना भी जताई.
उत्तर भारत के कुछ हिस्से को पिछले कुछ दिनों से सामान्य से अधिक तापमान का सामना करना पड़ रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स के एक विश्लेषण के अनुसार, पंजाब सहित सात राज्यों में सामान्य तापमान अधिकतम स्तर पर पहुंच गया. आमतौर पर ऐसी गर्मी मार्च के मध्य में महसूस की जाती है.
आईएमडी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 6 से 11 डिग्री अधिक दर्ज किया गया है. आईएमडी का कहना है कि इन हिस्सों में पश्चिमी विक्षोभ की मौजूदगी से हिमालयी राज्यों को कुछ राहत मिलने की संभावना है.
पश्चिमी विक्षोभ एक मौसमी घटना है जिसमें भूमध्यसागरीय क्षेत्र में बनने वाला एक अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान सर्दियों के दौरान उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश का कारण बनता है.
आईएमडी के अनुसार, जम्मू और कश्मीर के कई हिस्सों में हल्की बारिश और बर्फबारी की उम्मीद है. वहीं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 19 से 21 फरवरी के बीच छिटपुट बारिश और बर्फबारी देखने को मिल सकती है.
इसी समय अरुणाचल प्रदेश में भी छिट-पुट और भारी बारिश की संभावना बनी हुई है.
गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में अगले दो दिनों तक अधिकतम तापमान 37 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रह सकता है. गुजरात के भुज में पहले ही तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज किया जा चुका है, जो पिछले 71 सालों में फरवरी महीने में सबसे अधिक है.
मौसम विज्ञान विशेषज्ञों ने बताया कि भारत के कुछ हिस्सों में असामान्य रूप से उच्च तापमान कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण है, जिसकी वजह से इस बार सर्दियों में बारिश काफी कम हुई.
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने दिप्रिंट को बताया, ‘नवंबर और दिसंबर के महीने में कोई महत्वपूर्ण पश्चिमी विक्षोभ नहीं था. मौसम काफी शुष्क था क्योंकि बारिश नहीं हुई. जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ के कारण भारी बर्फबारी देखने को मिली थी. लेकिन फरवरी से फिर से पश्चिमी विक्षोभ की इंटेंसिटी कमजोर पड़ गई और फ्रीक्वेंसी बढ़ गई.’
उन्होंने कहा कि लगातार कमजोर होते पश्चिमी विक्षोभ ठंडी और शुष्क उत्तरी हवाओं को रोक रहे हैं.
एक ट्विटर थ्रेड में मौसम विज्ञानी नवदीप दहिया ने कहा कि भारत के ऊपर मंडराते एक एंटीसाइक्लोन ने गुजरात और महाराष्ट्र में तापमान को भी बढ़ा दिया है.
एंटीसाइक्लोन एक ऐसी घटना है जो आसमान को साफ करती है और बारिश नहीं देती. ऐसा अमूमन मार्च महीने में देखने को मिलता है.
Spring breaker #Heat ahead 🌡️
A very early and strong anti cyclonic circulation is dominating the atmosphere over #India has already resulted in one of the earliest 40°c maximum temperature in India, Today #Bhuj in #Gujarat recorded 40.3°c, also broke its ATR.
What’s next?
1/n pic.twitter.com/ovTeLLUite— Weatherman Navdeep Dahiya (@navdeepdahiya55) February 16, 2023
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अल-नीनो प्रभाव
हिंदुस्तान टाइम्स ने 16 फरवरी को एमडी डेटा का विश्लेषण किया था. उसके अनुसार, सात राज्यों में असामान्य रूप से उच्च तापमान देखा गया है, जैसा अमूमन मार्च के दौरान देखने को मिला करता है. मार्च जैसी गर्मी का अहसास करने वाले इन राज्यों में ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब हैं.
आईएमडी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आर.के. जेनामणि ने दिप्रिंट को बताया कि चूंकि इन क्षेत्रों में उच्च तापमान स्थिर नहीं हुआ है, इसलिए निश्चित रूप से यह कहना जल्दबाजी होगी कि गर्मियों की शुरुआत में इसका क्या असर रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘मौसम प्रणालियां आ रही हैं, लेकिन वे कमजोर हैं। पिछले 14 दिनों से तापमान बढ़ रहा है, और 15वें दिन आपका तापमान सामान्य से 5 से 7 डिग्री अधिक होगा, जो महत्वपूर्ण है। लेकिन यह कल गिर सकता है.’ उन्होंने आगे कहा, हालांकि यह लोगों के स्वास्थ्य पर कोई खास असर नहीं डालेगा, लेकिन कृषि क्षेत्र पर इसके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता है.
यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) का अनुमान है कि तीन साल के ला नीनो के बाद इस साल के अंत में अल नीनो विकसित होगा.
अल नीनो एक अन्य मौसमी घटना है जो प्रशांत महासागर के असामान्य रूप से गर्म होने का कारण बनती है और भारतीय मानसून पर नकारात्मक प्रभाव डालती है. इसके चलते दुनिया भर के औसत तापमान में वृद्धि देखने को मिलती है.
दूसरी ओर, ला-नीना तब होता है जब समुद्र ठंडा हो जाता है, जिससे पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र पर कम दबाव होता है और यह भारत में अधिक बारिश का कारण बनता है.
वेदर डॉट कॉम इंडिया के डिप्टी एडिटर दीक्षित पिंटो ने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर हम वास्तव में एल नीनो की तरफ जा रहे हैं, तो यह सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा. इस बदलाव से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान गर्म हो जाएगा.’
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ‘विश्व मौसम विज्ञान’ संगठन ने कहा था कि 93 प्रतिशत संभावना है कि 2022 और 2026 के बीच का एक वर्ष सबसे गर्म होगा और 2015 के पेरिस समझौते में निर्धारित 1.5 डिग्री की सीमा को अस्थायी रूप से तोड़ देगा.
बता दें कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के हस्ताक्षरकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव को सीमित करने के प्रयास में वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे, विशेषकर 1.5 डिग्री तक सीमित करने पर सहमति व्यक्त की थी.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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