नई दिल्ली: कौशल विकास मंत्रालय ने आईटीआई छात्रों की ट्रेनिंग को सुविधाजनक और आसान बनाने के लिए अब हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 11 भारतीय भाषाओं में भी सिलेबस बनाना शुरू किया है. ताकि निम्न आय परिवारों के आने वाले छात्र अपनी स्थानीय भाषा में तकनीकी ज्ञान हांसिल कर सकें. इतना ही नहीं मंत्रालय ने आईटीआई की किताबों को डिजिटलाइज भी किया है.
ये किताबें नेशनल इन्सट्रक्शनल मीडिया इन्स्टिट्यूट की वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हैं. गौरतलब है कि पहले अन्य स्थानीय भाषाओं में ट्रांसलेशन से काम चलाया जाता था लेकिन अब मूल भाषा में ही किताब का कंटेंट बनाया जाएगा. साथ ही अगर कोई छात्र क्लास अटेंड नहीं कर पाया तो वह किताब के चैप्टर के आखिर में बने क्यूआर कोड को स्कैन कर वीडियो फॉरमेट में प्रैक्टिल सीख सकेगा.
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (डीजीटी) और कौशल विकास मंत्रालय के साथ काम करने वाली ऑटोनॉमस बॉडी नेशनल इन्सट्रक्शनल मीडिया इन्स्टिट्यूट (निमी) आईटीआई के लिए किताबों का कंटेंट डिजाइन और प्रिंट करती है. एक तरह से इसे आईटीआई की एनसीआरटी भी कहा जाता है.
निमी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर आर पी ढींगरा ने दिप्रिंट से हुई बातचीत में बताया, ‘मंत्रालय के निर्देशों के बाद ही इन भाषाओं में सिलेबस तैयार किया जा रहा है. दसवीं के बाद आईटीआई में दाखिला लेने वाले बच्चों को अंग्रेजी या हिंदी समझने में दिक्कत आती रही है. ऐसे में अगर टेक्निकल शब्द उनकी ही भाषा में लिखे जाएं तो बेहतर परिणामों की अपेक्षा रहेगी. हम पहले ट्रांसलेशन कराते थे लेकिन उसमें अर्थ का अनर्थ भी हो जाता था जैसे ‘जैसे- टेक द जॉब, पुट इट इन द मशीन’ का हिंदी में ट्रांसलेशन ‘नौकरी को लो और मशीन में डाल दो’. अब इस तरह की गलतियों से बचा जा सकेगा.’
इसी साल जुलाई में केंद्रीय कौशल विकास मंत्री महेंद्रनाथ पांडे निमी (चेन्नई) में हुई 14वीं जनरल बॉडी मीटिंग में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने किताबों के कंटेंट के सरलीकरण की बात की थी. महेंद्र नाथ पांडे ने कहा था, ‘कंटेंट ऐसा हो कि छात्रों और टीचर्स को आसानी से समझ में आए.’
इस मीटिंग के बाद से निमी ने आईटीआई को लोकल स्तर पर और प्रासंगिक बनाने व डिजिटल इंडिया के हिसाब से किताबी कंटेंट को अपडेट किया है.
3डी तस्वीरें
किताबों के चैप्टर्स में मशीनी उपकरणों की तस्वीरों को 3डी तस्वीरें में बदला गया है. ये तस्वीरें छात्र निमी की एक ऐप के जरिए अपने मोबाइल फोन में देख सकेंगे. ढींगरा ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले कई महीने से ऐप पर काम हो रहा है. जल्द ही ऐप को लॉन्च किया जाएगा.’
भारत स्किल ऐप
फिलहाल ऐप का नाम ‘भारत स्किल ऐप’ रखा गया है. ऐप के कई टूल्स आईटीआई ट्रेनिंग बिलकुल आसान कर देंगे. इससे छात्र प्रैक्टिल के वीडियो भी देख सकेंगे. साथ ही एक अलग सेक्शन में आईटीआई की ई-बुक्स का ऑप्शन भी दिया गया है.
क्यूआर कोड
ढींगरा बताते हैं कि अभी बाकी किसी और संस्थान ने इतना एडवांस सिलेबस तैयार नहीं किया है जहां किताबों में क्यूआर कोड उपलब्ध हो. अगर कोई छात्र क्लास मिस करता है तो वो चैप्टर का क्यूआर कोड स्कैन कर घर पर ही चैप्टर के प्रैक्टिकल समझ सकता है. क्यूआर कोड सिस्टम फिलहाल इलेक्ट्रीशियन, फिटर, वेल्डर और टर्नर जैसे ट्रेड्स में ही शुरू किया गया है.
11 भाषाओं में सिलेबस
तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, गुजराती, तेलुगु, उड़िया, बंगाली, पंजाबी, आसामी और उर्दू भाषाओं में सिलेबस बनाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए स्टेट निमी को इन्स्ट्रक्टर उपलब्ध कराते हैं. ये इन्स्ट्रक्टर निमी के साथ मिलकर अलग-अलग भाषाओं में कंटेंट तैयार करते हैं. सबसे ज्यादा इन्स्ट्रक्टर तमिल भाषा में मिल पाए हैं. उर्दू के लिए जम्मू-कश्मीर राज्य से कहा गया है.
स्थानीय भाषाओं के महत्व पर जोर डालते हुए ढींगरा कहते हैं, ‘एक तो इससे स्थानीय भाषाओं का प्रचार प्रसार होगा और दूसरा अगर किसी भाषा में नट-बोल्ट की चूड़ी के लिए अलग शब्द है तो उस अलग शब्द को ही सिलेबस से जोड़ा जाएगा. ताकि उस भाषा के छात्र व ट्रेनर दोनों के लिए आसानी हो.’
सिलेबस के डिजिटलाइजेशन से ट्रेनर या टीचर्स की संख्या पर पड़ने वाले फर्क पर ढींगरा कहते हैं, ‘इससे टीचर्स की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. ये ट्रेनिंग और प्रभावी बनाने के लिए है.’