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Monday, 23 December, 2024
होमदेश'इसे लागू करने में 15-16 साल लगेंगे', महिला आरक्षण बिल पर मायावती बोलीं- चुनाव से पहले लालच देने की कोशिश

‘इसे लागू करने में 15-16 साल लगेंगे’, महिला आरक्षण बिल पर मायावती बोलीं- चुनाव से पहले लालच देने की कोशिश

मायावती ने कहा कि संसद में (महिला आरक्षण) विधेयक पारित होने के बाद देश में जनगणना कराई जाएगी. इसे (संसद से) मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा.

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नई दिल्ली: महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि सरकार की नीयत आरक्षण देने वाली नहीं है. महिला आरक्षण बिल तुरंत लागू नहीं होगा. इस विधेयक में कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिससे इसके लागू होने में 15 से 16 साल की देरी होगी.

उन्होंने कहा, सरकार को ऐसे रास्तें निकालने चाहिए जिससे इस बिल को जल्द से जल्द लागू किया जा सके.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, “संसद में (महिला आरक्षण) विधेयक पारित होने के बाद देश में जनगणना कराई जाएगी. इसे (संसद से) मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा.”

बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यह (महिला आरक्षण) विधेयक आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के कारण लाया गया है. यह साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है. लेकिन आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने का एक प्रयास है.

बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में लोकसभा की पहली बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था. इस विधेयक का नाम “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” रखा गया है.

संसद के चल रहे विशेष सत्र के दौरान निचले सदन में विधेयक पेश करते हुए मेघवाल ने कहा, “यह विधेयक महिला सशक्तिकरण के बारे में है. संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी. अनुच्छेद 330ए लोक सभा में एससी/एसटी के लिए सीटों के आरक्षण का भी प्रावधान करता है.”

इससे पहले मंगलवार को मायावती ने कहा कि इस बिल में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण में अलग कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

मायावती ने कहा, ”बसपा के साथ-साथ ज्यादातर पार्टियां महिला आरक्षण बिल के पक्ष में अपना वोट देंगी. हमें उम्मीद है कि चर्चा के बाद यह विधेयक इस बार पारित हो जायेगा क्योंकि यह काफी समय से लंबित था. मैंने पहले संसद में अपनी पार्टी की ओर से कहा था कि महिलाओं की आबादी को ध्यान में रखते हुए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को प्रस्तावित 33% के बजाय 50% आरक्षण मिले. मुझे उम्मीद है कि सरकार इस बारे में सोचेगी. साथ ही, महिला आरक्षण में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए अन्यथा यह उनके साथ अन्याय होगा.”

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पार्टी द्वारा जारी एक प्रेस रिलीस शेयर कर मायावती ने बिल से जुड़े अपने मुद्दे सामने रखें.

मायावती ने कहा कि इस बिल में इतना समय इसलिए लगेगा क्योंकि इसके लिए सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा और जनगणना में बहुत लंबा समय लगता है.


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