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Sunday, 8 September, 2024
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चूक का अहसास करने में सरकार को करीब पांच दशक लग गए: संघ से जुड़े मामले में मप्र उच्च न्यायालय

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इंदौर, 25 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की ‘‘खिंचाई’’ करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार को अपनी इस चूक का अहसास करने में करीब पांच दशक लग गए कि ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे विश्वप्रसिद्ध संगठन’’ को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में गलत तरह से शामिल किया गया था।

अदालत ने संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के सरकार के हालिया फैसले के हवाले से यह तल्ख टिप्पणी की।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की रिट याचिका का निपटारा करते यह टिप्पणी की।

गुप्ता ने 19 सितंबर 2023 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के साथ ही केंद्र सरकार के उन कार्यालय ज्ञापनों को चुनौती दी थी जो संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने में बाधा बन रहे थे।

युगल पीठ ने संघ से जुड़ने को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों पर लगाई गई पाबंदी का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रतिबंध तभी हटाया गया जब इसे वर्तमान याचिका के माध्यम से अदालत के संज्ञान में लाया गया।

अदालत ने केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों की पृष्ठभूमि में अलग-अलग न्याय दृष्टांतों का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारियों के ‘‘दुराचरण’’ को परिभाषित करते समय सरकार खुद को ‘‘सर्वेसर्वा’’ मानकर बर्ताव नहीं कर सकती।

पीठ ने कहा कि बार-बार मांगे जाने के बावजूद सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किए जाने के कारण अदालत यह मानने को मजबूर है कि ऐसी कोई सामग्री, अध्ययन, सर्वेक्षण या रिपोर्ट संभवत: कभी मौजूद नहीं थी जिसके आधार पर इस नतीजे पर पहुंचा जा सके कि देश का सांप्रदायिक ताना-बाना और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप बरकरार रखने के वास्ते केंद्रीय कर्मचारियों को संघ की गैर राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने से रोका जाना चाहिए।

पीठ ने ताकीद की कि किसी भी संगठन को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला सत्ता में बैठे लोगों की व्यक्तिपरक राय पर नहीं, बल्कि स्पष्ट तर्कों, निष्पक्षता और न्याय के नियमों पर आधारित होना चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए एक बार जब सरकार ने (कर्मचारियों के लिए) प्रतिबंधित संगठनों की सूची से संघ का नाम हटाने का निर्णय किया है, तो इस फैसले की निरंतरता संबंधित वक्त की सरकार की सनक, दया और खुशी भर पर निर्भर नहीं होनी चाहिए।’’

पीठ ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह मंत्रालय को निर्देश भी दिया कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के ‘होम पेज’ पर नौ जुलाई के उस कार्यालय ज्ञापन को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें जिसके जरिये सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाई गई है।

अदालत ने इस ज्ञापन को देश भर में केंद्र सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों को 15 दिन के भीतर भेजने का निर्देश भी दिया।

इंदौर में रहने वाले याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘मैं संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से जाहिर तौर पर खुश हूं। मेरे पिता संघ की शाखा में जाते थे और सेवानिवृत्ति के बाद मैं भी संघ की गतिविधियों से जुड़ना चाह रहा था।’’

गुप्ता ने बताया कि वह केंद्रीय भण्डारण निगम के अधिकारी के पद से वर्ष 2022 में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘अब मेरे जैसे हजारों लोगों के लिए संघ से जुड़ने की राह आसान हो गई है।’’

भाषा हर्ष खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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