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Saturday, 4 May, 2024
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3 महीने तक जलता रहा मणिपुर लेकिन भारत, मोदी, और CJI को जगाने के लिए बलात्कार के वायरल वीडियो की जरूरत

मणिपुर के वायरल वीडियो पर सार्वजनिक आक्रोश से एक सप्ताह पहले, दिप्रिंट ने खुलासा किया था कि कैसे मणिपुर में दंगे भड़कने के तुरंत बाद छह कुकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था.

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मणिपुर से वायरल हुई 26 सेकंड की वीडियो ने सरकार, न्यायपालिका, प्रशासन और जनता को झकझोर कर रख दिया और 3 मई को राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से मणिपुर में महिलाओं पर हुई जघन्य हिंसा पर ध्यान को आकर्षित किया. तब तक सिर्फ भीड़ के हमलों, झड़पों और आगजनी की ही बात होती थी. बलात्कार किसी भी सार्वजनिक बातचीत का हिस्सा नहीं था, बल्कि ही कम मामलों में इसका उल्लेख किया जाता था.

तभी सोशल मीडिया पर एक भयानक वायरल वीडियो आया. इसमें दो कुकी महिलाओं को नग्न अवस्था में परेड करते, उनके साथ छेड़छाड़ करते और भीड़ द्वारा पीटते हुए देखा जा सकता है. और यह तुरंत भारतीयों की अंतरात्मा को जगा देता है.

मणिपुर हिंसा पर अपनी तीन महीने की चुप्पी तोड़ते हुए पीएम मोदी ने संसद के बाहर कहा, ”पूरे देश का अपमान हुआ है और 140 करोड़ देशवासी शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं.”

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सरकार और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को भी अल्टीमेटम देते हुए कहा, “अगर सरकार से कुछ नहीं हो रहा है तो हम कार्रवाई करेंगे.”

बुधवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, सिंह, जिनकी जातीय हिंसा से निपटने के तरीके के लिए व्यापक रूप से आलोचना की गई है, ने कहा कि वह आरोपियों की मौत की सजा पर जोर देंगे.

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सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “मैं शब्दों से परे स्तब्ध हूं और इस जघन्य अपराध की कड़ी निंदा करता हूं. यह मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है. वीडियो की सत्यता की जांच करने और दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने के निर्देश जारी किए गए हैं. हम इस मामले में मौत की सज़ा के लिए की मांग करेंगे.”

वीडियो के वायरल होने के बाद रातों-रात जो तीव्र प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, वह यह है कि मणिपुर में बलात्कार क्यों दिप्रिंट के द वीक के न्यूज़मेकर पर हैं. देर से ही सही, लेकिन दंगों की स्थिति में यौन हमलों के इर्द-गिर्द चुप्पी की संस्कृति आखिरकार टूटती दिख रही है.

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, ऐसा लगता है कि विपक्ष सावधानी से आलोचना कर रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”प्रधानमंत्री जी, मुद्दा ये नहीं है कि ये देश के लिए शर्म की बात है. मुद्दा यह है कि मणिपुर की महिलाओं को दर्द और आघात को सहना पड़ा. यह हिंसा तुरंत बंद करो.”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विटर पर कहा, “हमें उपद्रवियों के ऐसे अमानवीय कृत्यों की निंदा करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एकजुट होना चाहिए.”

हालांकि, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीधे मोदी पर हमला करते हुए कहा कि पीएम (लंबे समय से) चुप थे और यह एक कमजोर नेता की निशानी है.

बसपा नेता और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने मणिपुर के सीएम के पद पर बने रहने पर सवाल उठाया: “हालांकि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से ही खराब हो गई है, क्या बीजेपी अब भी ऐसे मुख्यमंत्री को बचाना जारी रखेगी?”


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क्या रेप की घटना ही देश को जगाती है

यह सब 21वीं सदी की तकनीक की उस घृणित विशेषता से शुरू हुआ, और वो है फर्जी खबर.

लीक हुए वीडियो पर सार्वजनिक आक्रोश से एक सप्ताह पहले, दिप्रिंट ने अपने विशेष कवरेज में खुलासा किया था कि कैसे मणिपुर में दंगे भड़कने के तुरंत बाद छह कुकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था.

दंगों के एक दिन बाद एक फर्जी खबर प्रसारित होने के बाद गुस्साई भीड़ ने बदला लेने के लिए महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल किया, जिसमें प्लास्टिक की थैली में लिपटी एक युवा महिला के शव की तस्वीर दिखाई गई थी. यह वायरल हो गया. फोटो के साथ संदेश में दावा किया गया कि यह मैतेई नर्सिंग छात्रा की है, जिसके साथ चूड़ाचांदपुर मेडिकल कॉलेज में कुकी लोगों ने कथित तौर पर बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी.

खबर फर्जी थी. लेकिन यह भीड़ को उकसाने और निर्दोष महिलाओं पर हिंसक हमले करने का एक उपकरण बन गया. दंगों के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन अपराधों के बारे में संघर्षों में सबसे कम चर्चा होती है. यदि रिपोर्ट की जाती है तो वे हत्याओं और लूटपाट की खबरों के बाद सामने आती हैं.

मणिपुर अलग नहीं है. बलात्कार पर दर्ज की गई एफआईआर अपराध होने के दो महीने से अधिक समय बाद सामने आई. यह उस सामाजिक कलंक और बलात्कार को लेकर चुप्पी की संस्कृति का प्रमाण है जिससे भारतीय महिलाएं आज भी जूझती हैं. यह जातीय दंगों के समय महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के प्रति राज्य की उदासीनता को भी दर्शाता है.

पिछले महीने, दिप्रिंट ने यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं, परिवार के सदस्यों और पीड़ितों की पहली देखभाल करने वालों का पता लगाया. राहत शिविरों में आश्रय ढूंढ रही और अभी भी प्रतिशोध से डरी हुई. महिलाओं ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस के पास शिकायत दर्ज करना अभी भी एक कठिन लड़ाई है.

बिष्णुपुर जिले में धान के खेत में एक 40 वर्षीय महिला और लगभग 20 साल की एक महिला के साथ बलात्कार किया गया. लीक हुए वीडियो में ये दो महिलाएं हैं. इंफाल में कार धोने का काम करने वाली बीस वर्षीय दो अन्य महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. कांगपोकपी की एक 18 वर्षीय किशोरी के साथ 15 मई को कथित तौर पर बलात्कार किया गया था. उसे नागालैंड के एक अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई. छठी महिला एक मेडिकल छात्रा है जिसने दिप्रिंट को इस बात से इनकार किया कि उसके साथ बलात्कार हुआ था, लेकिन उसकी देखभाल करने वालों ने हमें बताया कि डर और बदनामी का डर उसे अत्याचार के बारे में प्रेस से बात करने से रोक रहा है.

बलात्कार से जुड़ी शर्म, अपमान और बदनामी का डर बहुत अधिक है. उन्होंने कहा, और एक बार जब उनके मामले अदालत में चले जाएंगे तो लंबी सुनवाई उन्हें आघात को भूलने और आगे बढ़ने नहीं देगी.

एक्शन और रिएक्शन

गुरुवार तक, मणिपुर पुलिस ने चार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और अन्य की तलाश कर रही है. लेकिन कार्रवाई दो महीने देर से हुई – वीडियो प्रसारित होने के बाद ही.

4 मई की घटना पर एफआईआर, जिसमें वायरल वीडियो में दो महिलाएं दिखाई दे रही हैं, घटना के दो सप्ताह बाद 18 मई को दर्ज की गई थी.

इंफाल में 20 साल की दो महिलाओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और कार वॉशिंग मशीन में उनकी हत्या कर दी गई, जहां वे काम करती थीं. उनके माता-पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में रेप की धाराएं शामिल थीं. लेकिन परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक मामले की जांच आगे नहीं बढ़ी है.

इस बीच, जीवित बचे लोगों के लिए, लीक हुआ वीडियो उस भयावहता की याद दिलाता है जिससे उन्हें गुजरना पड़ा था और यह उन्हें अपराध की रिपोर्ट करने के लिए आगे आने के बजाय अपने भीतर और गहराई में जाने के लिए प्रेरित कर सकता है.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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