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Saturday, 1 June, 2024
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IT मंत्री ने चेताया- ट्विटर, फेसबुक, बाकी सोशल मीडिया कंपनियों को मानना होगा देश का कानून

सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का समुचित निपटारा करने के लिए सरकार ने शुक्रवार को आईटी नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की.

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नई दिल्ली: सरकार ने शनिवार को कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में नए संशोधन सोशल मीडिया कंपनियों पर कानूनी बाध्यता लगाएंगे जिससे उन्हें प्रतिबंधित सामग्री और गलत जानकारी पर रोक लगाने के लिए सारे प्रयास करने होंगे. इसके साथ ही साफ किया कि ट्विटर और फेसबुक जैसे मंचों को स्थानीय कानूनों और भारतीय उपयोगकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का पालन करना होगा.

शुक्रवार को अधिसूचित नए आईटी नियमों में शिकायत अपीलीय समितियों के गठन की बात है जो पोस्ट हटाने या अनुरोधों पर रोक लगाने के बड़े प्रौद्योगिकी कंपनियों के फैसलों को पलट सकती हैं.

सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) के ढांचे और दायरे को परिभाषित करने के तौर-तरीकों पर जल्द काम किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सोशल मीडिया मंच उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के निवारण को लेकर अपना ‘सांकेतिक’ और ‘चलताऊ’ रवैया छोड़ेंगे.

सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का समुचित निपटारा करने के लिए सरकार ने शुक्रवार को आईटी नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की. ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के नियमन के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा कर सकेंगी.

चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से कहा, ‘शिकायत अपीलीय समिति इंटरनेट और मध्यवर्तियों के लिए आगामी दिनों में एक महत्वपूर्ण संस्थान होंगी. हम इसके ढांचे, संविधान, दायरे और नियम-शर्तों के बारे में घोषणा करेंगे.’

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उन्होंने कहा कि शिकायतों के निपटारे को लेकर मंचों के अब तक के लापरवाही भरे रवैये की वजह से ही ये कदम उठाने पड़े हैं. मंत्री ने कहा, ‘हम यह उम्मीद करते हैं कि मध्यवर्तियां अपने स्तर पर शिकायतों के निपटारे के लिए बेहतर ढंग से काम करेंगी जिससे कि अपीलीय प्रक्रिया पर बहुत अधिक भार नहीं पड़े.’

अनुपालन नहीं करने वाले मंचों पर जुर्माने लगाने के बारे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा चरण में सरकार दंडात्मक कार्रवाई नहीं करना चाहती है. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि भविष्य में परिस्थितियां अगर ऐसी बनती है तो इस बारे में भी विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैसे इंटरनेट बदल रहा है उसी के साथ कानून भी बदल रहे हैं.

सोशल मीडिया के लिए 2021 में जो नियम लाए गए थे उनके तहत उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए इन कंपनियों को शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति करना अनिवार्य कर दिया गया था.

चंद्रशेखर ने कहा, ‘हमने सोचा कि मध्यवर्तिंयां शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति के जरिए यह समझेंगी कि शिकायत निवारण अधिकारी शिकायतों को दूर करने के लिए हैं, यहां सांकेतिक तौर पर काम नहीं चलेगा. कुछ लोगों को यह समझ नहीं आया और हमें समितियां बनानी पड़ीं.’

संशोधित नियमों के मुताबिक प्रत्येक समिति में एक चेयरपर्सन और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे. इनमें से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे.

संशोधनों की अधिसूचना के मुताबिक शिकायत अधिकारी के निर्णय से असहमत कोई भी व्यक्ति, शिकायत अधिकारी से सूचना मिलने से तीस दिनों के भीतर अपीलीय समिति में शिकायत कर सकता है.

चंद्रशेखर ने कहा कि इन समितियों के फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सकेगी. उन्होंने कहा, ‘सरकार की दिलचस्पी लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं है. यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम अनिच्छा से ले रहे हैं, क्योंकि शिकायत तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है. हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ‘डिजिटल नागरिकों’ के प्रति हमारा दायित्व है और कर्तव्य है कि उनकी शिकायतें सुनी जाएं.’


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