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मंगलवार, 20 मई, 2025
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आरोपी का दुर्भाग्य, उसे जमानत के लिए इस अदालत में आना पड़ा: न्यायालय

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नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार दृष्टि बाधित एक व्यक्ति को जमानत प्रदान करते हुए कहा कि आरोपी का दुर्भाग्य है कि उसे ‘‘जमानत लेने के लिए इस न्यायालय में पड़ा।’’

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि आरोपी सात महीने से अधिक समय से जेल में बंद है और मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है।

पीठ ने 19 मई को अपने आदेश में कहा, ‘‘अपीलकर्ता की उम्र 65 वर्ष है और वह 50 प्रतिशत दृष्टिबाधित है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत लेने के लिए इस अदालत तक आना पड़ता है।’’

शीर्ष अदालत ने आरोपी को अधिकतम एक सप्ताह के भीतर निचली अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘अधीनस्थ अदालत अपीलकर्ता को उचित शर्तों और नियमों के आधार पर जमानत देगी, जिसमें हर तारीख पर नियमित रूप से और समय से अदालत में उपस्थित होना और मामले के शीघ्र निपटान के लिए अधीनस्थ अदालत के साथ सहयोग करने की शर्त शामिल है।’’

आरोपी व्यक्ति के खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है।

इन अपराधों की सुनवाई मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा की जा सकती है।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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