नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) भारत ने शनिवार को कहा कि ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप-आर्थिक गलियारा’ (आईएमईईसी) पर काम शुरू करने के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के पूरी तरह से ठीक होने का इंतजार करना जरूरी नहीं है और वह इस परियोजना पर चुनिंदा साझेदारों के साथ काम कर रहा है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संकेत दिया कि अगले सप्ताह जेद्दा में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के वली अहद मोहम्मद बिन सलमान के बीच होने वाली वार्ता में आईएमईईसी परियोजना के क्रियान्वयन के तरीकों पर चर्चा हो सकती है।
मिस्री ने 22 अप्रैल से शुरू हो रही मोदी की दो दिवसीय सऊदी अरब यात्रा पर आयोजित प्रेस वार्ता में यह टिप्पणी की।
इस गलियारे के जरिये सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन नेटवर्क की परिकल्पना की गई है।
मिस्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘क्षेत्र में राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति से ऐसा लगता है कि गलियारे पर प्रगति रुक गई है। लेकिन वास्तव में, हम चुनिंदा साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं।’’ विदेश सचिव ने इस गलियारे के लिए विशेष दूत नियुक्त करने वाले कई देशों का भी उल्लेख किया।
पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति, विशेष रूप से इजराइल-हमास संघर्ष, ने आईएमईईसी के कार्यान्वयन में कुछ देरी की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन दूतों में से कई के साथ बातचीत की है ताकि इस बात पर विचार-विमर्श किया जा सके कि क्या किया जाना चाहिए। अभी बहुत सारे आधारभूत कार्य किए जाने की आवश्यकता है।’’
सितंबर 2023 में नयी दिल्ली जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईएमईईसी पहल को अंतिम रूप दिया गया था। इस गलियारे के लिए भारत, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका और कुछ अन्य जी-20 भागीदारों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
भाषा सुभाष माधव
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