जयपुर, सात मार्च (भाषा) राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का मुद्दा सोमवार को राज्य विधानसभा में उठा, जहां अनेक विधायकों ने इसे राज्य की राजभाषा का दर्जा देने की मांग उठाई।
वहीं, सरकार की ओर से शिक्षा एवं कला संस्कृति मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि इस मामले में विपक्ष व सत्ता पक्ष को साथ चलकर केंद्र सरकार से पूछना चाहिए कि राजस्थान को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ”हम सब मिलकर चलें और प्रधानमंत्री से पूछें कि विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए जाने के बावजूद उसे संविधान की आठवीं अनुसूची में क्यों नहीं शामिल किया गया है।”
मंत्री ने कहा, ”हम सब मिलकर चलेंगे तो उन्हें करना पड़ेगा, मान्यता देनी पड़ेगी और मान्यता मिल जाएगी तो हम नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई राजस्थान भाषा में शुरू कर देंगे। इसमें कोई शक नहीं। मान्यता के लिए हम सबको एक होना पड़ेगा।”
इससे पहले शिक्षा, कला व संस्कृति विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान जालोर से विधायक जोगेश्वर गर्ग ने राजस्थानी में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि डेढ़ सौ से अधिक विधायक लिखकर दे चुके हैं और 25 से अधिक विधायकों ने ने अभी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाया है कि राजस्थान को आधिकारिक भाषा बनाया जाए।
नोहर से विधायक बलवान पूनियां ने कहा, ”इसी सत्र में हमारी मातृभाषा राजस्थानी को सरकारी भाषा घोषित किया जाए।”
वहीं, नोखा से विधायक बिहारी लाल ने कहा कि राजस्थानी को राजस्थान में कम से कम द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिले।
भाषा पृथ्वी शफीक
शफीक
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