scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘गगनयान’ मिशन: दिसंबर 2020 में पहले मानवरहित मिशन के प्रक्षेपण के लिए तैयार इसरो

‘गगनयान’ मिशन: दिसंबर 2020 में पहले मानवरहित मिशन के प्रक्षेपण के लिए तैयार इसरो

के सिवन ने कहा कि इसरो ने ‘गगनयान’ कार्यक्रम के लिए कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, अकादमिक संस्थानों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, भारतीय वायुसेना, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को पक्षकार बनाया है.

Text Size:

बेंगलूरू: भारतीय अंतरिक्ष यान कार्यक्रम गगनयान के अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) अंतरिक्ष की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए ह्यूमैनोयड मॉडल (मानव की तरह दिखने वाला ) भेजने की योजना बना रहा है. इस ह्यूमनॉयड को इसरो ने ‘व्योम मित्र’ नाम दिया है. बताया जा रहा है कि इसे 2022 में गगनयान मिशन से पहले रवाना किया जाएगा.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने बुधवार को कहा कि दिसंबर 2021 में भारत के प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्षयान ‘गगनयान’ के प्रक्षेपण के मद्देनजर इसरो दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशनों का प्रक्षेपण करेगा. व्योममित्र उसी का हिस्सा है.

इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने कहा, यह एक इंसान की तरह काम करेगा और हमें वहां की जानकारियां मुहैया कराएगा. फिलहाल इसरो एक प्रयोग के रूप में इस व्योम मित्र का उपयोग कर रहा है.’

‘मानव अंतरिक्षयान और खोज: वर्तमान चुनौतियां तथा भविष्य घटनाक्रम’ पर विचार गोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सिवन ने कहा कि ‘गगनयान’ मिशन का उद्देश्य न केवल अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना है, बल्कि ‘निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति’ के लिए नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है.

उन्होंने कहा, ‘हम तीन चरणों में यह सब कर रहे हैं. दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन और उसके बाद दिसंबर 2021 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान.’

नए अंतरिक्ष केंद्र के संबंध में इसरो ने भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेंगलुरु के पास अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया है.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों तथा उद्यमों से बात कर रही है कि कैसे वह मानवयुक्त अंतरिक्षयान पर साथ मिलकर काम कर सकती है और कैसे उनके अनुभव से सीखा जा सकता है.

‘गगनयान’ इसरो के अंतर-ग्रहीय मिशन के दीर्घकालिक लक्ष्य में भी मदद करेगा. इसरो प्रमुख ने कहा, ‘अंतर-ग्रहीय मिशन दीर्घकालिक एजेंडे में शामिल है.’

‘गगनयान’ मिशन पर सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों जैसे कि निचली कक्षा के लिए 10 टन की पेलोड क्षमता वाला संचालनात्मक लॉंचर पहले ही विकसित कर लिया है और इसका प्रदर्शन किया है.

उन्होंने कहा, ‘केवल मानव जीवन विज्ञान और जीवन रक्षा प्रणाली जैसे तत्व की कमी है जिसे अब हम विकसित कर रहे हैं.’

सिवन ने कहा कि इसरो ने ‘गगनयान’ कार्यक्रम के लिए कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, अकादमिक संस्थानों, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, भारतीय वायुसेना, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को पक्षकार बनाया है.

सिवन ने कहा कि भारत में जल्द ही सामान्य रूप से अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण शुरू होगा. इसमें कई सिमुलेटर और अन्य उपकरणों के इस्तेमाल के साथ मिशन से जुड़ा विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाएगा.

फ्रांस में दो हफ्ते का प्रशिक्षण

सिवन ने यह भी बताया कि वायुसेना के टेस्ट पायलटों में से अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कर लिया गया है. मानव अंतरिक्ष अभियान, गगनयान के उद्देश्य से चुने गए अंतरिक्षयात्रियों की सेहत की निगरानी के लिए फ्रांस भारतीय फ्लाइट सर्जनों को प्रशिक्षण देगा.

दो हफ्ते का यह प्रशिक्षण गगनयान अभियान का अहम पहलू है. इस अभियान के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य है.

अधिकारियों ने बताया कि इस हफ्ते इस मामले पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है जब फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के अध्यक्ष जीन-येव्स ले गाल बेंगलुरु पहुंचेंगे.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायुसेना के चिकित्सक फ्लाइट सर्जन होंगे जिनकी विमानन दवाओं में विशेषज्ञता होगी और वे उड़ान से पहले, उड़ान के दौरान और उड़ान के बाद अंतरिक्षयात्रियों के स्वास्थ्य के लिये जिम्मेदार होंगे. इन फ्लाइट सर्जन का चयन जल्द ही किया जाएगा.

चयनित चिकित्सकों को फ्रांस में दो हफ्ते का प्रशिक्षण मिलेगा.

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से संबद्ध फ्लाइट सर्जन ब्रिगेट गोडार्ड चिकित्सकों और इंजीनियरों का प्रशिक्षण शुरू करवाने के लिये पिछले साल जुलाई और अगस्त में भारत में थीं.

अंतरिक्ष चिकित्सा को लेकर फ्रांस में अच्छा स्थापित तंत्र है. उसके यहां एमईडीईएस अंतरिक्ष क्लीनिक है जहां अंतरिक्ष सर्जन प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. यह क्लीनिक सीएनईएस से संबद्ध है.

अधिकारियों ने कहा कि इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है कि क्या अंतरिक्षयात्रियों को आगे प्रशिक्षण के लिये फ्रांस भेजा जाए.

इस अभियान के लिये चयनित भारतीय वायुसेना के चार टेस्ट पायलट अभी 11 महीनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये रूस में हैं.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

share & View comments