नागपुर, चार जनवरी (भाषा) भारत जब अगले महीने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की परीक्षण उड़ान संचालित करेगा तो अंतरिक्ष आधारित विमान निगरानी प्रणाली का परीक्षण भी करेगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एसएसएलवी पिछले साल सात अगस्त को अपनी पहली विकास उड़ान में असफल रहा था। इसका उद्देश्य 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को तलीय कक्षा में भेजना है।
एसएसएलवी की दूसरी विकास उड़ान अगले महीने संचालित हो सकती है। यदि यह सफल रही तो इसरो को 10 से 500 किलोग्राम तक वजन के छोटे उपग्रहों के लिए मांग आधारित प्रक्षेपण सेवा शुरू करने का अवसर मिलेगा।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने यहां 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं आपको निश्चित तारीख नहीं बता सकता, लेकिन हम अगले महीने परीक्षण उड़ान की योजना बना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत मंगल और शुक्र ग्रहों पर वैज्ञानिक मिशन भेजने की भी योजना बना रहा है और इस साल किसी समय एक लैंड रोवर को चंद्रमा पर भेजने का प्रयास कर रहा है।
सोमनाथ ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 अंतरिक्षयान लगभग तैयार है। ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर, लेकिन हम मिशन के प्रक्षेपण के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं, जो जून में किसी समय होगा।’’
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले महीने एसएसएलवी पर स्थित उपग्रह आधारित स्वचालित आश्रित निगरानी प्रसारण (एडीएस-बी) रिसीवर प्रणाली का परीक्षण भी करेगा।
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में आधुनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र के उपनिदेशक डी. के. सिंह ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एडीएस-बी रिसीवर एक विमान की सारी जानकारी प्राप्त करता है। फिलहाल, ये सिग्नल वायु यातायात नियंत्रक (एटीसी) प्राप्त करता है। लेकिन दुनिया में करीब 30 प्रतिशत हवाई क्षेत्र ऐसा है जहां एटीसी की पहुंच नहीं होती। अब हमने एक अंतरिक्ष आधारित एडीएस-बी प्रौद्योगिकी विकसित की है।’’
उन्होंने कहा कि अगले महीने एसएसएलवी परीक्षण उड़ान पर अंतरिक्ष-आधारित एडीएस-बी प्रणाली का परीक्षण किया जाएगा।
सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित एडीएस-बी प्रौद्योगिकी इस समय कनाडा की एक कंपनी द्वारा व्यावसायिक रूप से विमानन कंपनियों को प्रदान की जाती हैं।
भाषा वैभव सुरेश
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