नई दिल्ली: सूर्य के अध्ययन के लिए शनिवार को यानी आज प्रक्षेपित किए जाने वाले भारत के पहले मिशन ‘आदित्य-एल1’ का प्राथमिक उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को प्रतिदिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा.
वीईएलसी उपकरण ‘आदित्य-एल1’ का ‘सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण’ पेलोड है, जिसे बेंगलुरु के पास होसकोटे में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए) के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में इसरो के सहयोग से एकीकृत किया गया था. इसका परीक्षण और क्रम निश्चित करने का कार्य भी इसी परिसर में किया गया.
‘आदित्य-एल1’ को कल दो सितंबर को पूर्वाह्न 11:50 बजे पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा. यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने साथ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और शेष तीन उपकरण प्लाज्मा एवं चुंबकीय क्षेत्र के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे.
इसे ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है. यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है.
आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने कहा, ‘‘तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक तस्वीर आएगी यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी.’’
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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