scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशदिल्ली दंगा मामले में इशरत जहां ने मांगी जमानत, पूछा- क्या राजनीतिक जुड़ाव होना गलत है

दिल्ली दंगा मामले में इशरत जहां ने मांगी जमानत, पूछा- क्या राजनीतिक जुड़ाव होना गलत है

साल 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस की निगम पार्षद रहीं इशरत जहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की सदस्य रही हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व निगम पार्षद इशरत जहां ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश के मामले में यहां एक अदालत के समक्ष सोमवार को जमानत मांगी और पूछा किया क्या राजनीतिक जुड़ाव होना गलत बात है?

इशरत जहां की ओर से पेश अधिवक्ता प्रदीप तेवतिया ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष कहा, ‘कोई सबूत नहीं हैं. क्या राजनीतिक जुड़ाव होना गलत है? मैंने क्या गलत किया? यूएपीए लगाने का मकसद आवाजों को दबाना है. यूएपीए की समीक्षा होनी चाहिये.’

साल 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस की निगम पार्षद रहीं इशरत जहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की सदस्य रही हैं. उनकी बहन सरवर जहां ने यह बात कही.

तेवतिया ने इस आधार पर जमानत याचिका दायर की कि सह-आरोपी के साथ जहां का संबंध दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है और गवाह असली नहीं हैं.

कार्यवाही के दौरान, अधिवक्ता ने अभियोजन पक्ष के आरोपों पर आपत्ति जताई कि इशरत जहां ने विरोध और हिंसा के वित्तपोषण में मदद की.

तेवतिया ने कहा कि उन्होंने (अभियोजन ने) अभी यह कहानी बुनी है और हिंसा से पहले व उसके दौरान उनके खर्च के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

इस बीच, विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने वे वीडियो पेश करने की अपील की, जिनपर आरोपी के वकीलों ने भरोसा जताया है.

मामले की सुनवाई अब 23 जुलाई को होगी. इशरत जहां समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. उन पर फरवरी 2020 की हिंसा का ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे.

यह पहला मौका है जब आरोपी ने मामले में नियमित जमानत मांगी है. पिछले साल नवंबर में, अदालत ने यूएपीए के तहत दर्ज किए गए अपराधों सहित विभिन्न अपराधों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.

इससे पहले, इशरत जहां को शादी करने के लिए 10 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने या गवाहों को प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया गया था. जहां की शादी 12 जून 2020 को तय हुई थी.


यह भी पढ़ें: BSP सुप्रीमो मायावती ने कहा- आतंकियों के पकड़े जाने के मामले में राजनीति न हो


 

share & View comments