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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'क्या कोई समयसीमा तय की गई है?' SC ने केंद्र से J&K के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए मांगा रोडमैप

‘क्या कोई समयसीमा तय की गई है?’ SC ने केंद्र से J&K के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए मांगा रोडमैप

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र की बहाली हमारे राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण घटक है. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर (जेएंडके) को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए रोडमैप और समय-सीमा बताने को लेकर एक आधिकारिक बयान देने की बात कहीं.

हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) का दर्जा अस्थायी है. सरकार ने कोर्ट में कहा कि वह गुरुवार को इस पर अपना पक्ष रखेगी.

सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ को मंगलवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा.

शीर्ष अदालत 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

राज्य का दर्जा बहाल करने पर पीठ का सवाल तब उठा जब मेहता जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पर बहस कर रहे थे, जिसके तहत राज्य का विभाजन किया गया था.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमें इस पर केंद्र सरकार से एक बयान की जरूरत है कि इसको लेकर क्या कोई समय सीमा ध्यान में रखी गई है? लोकतंत्र की बहाली हमारे राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण घटक है. कृपया हमें बताएं कि इसके लिए क्या रोडमैप तैयार किया गया है.”

यह प्रश्न सुनवाई के दोपहर के भोजन से पहले के सत्र के दौरान उठाया गया था.

एक घंटे के भोजनावकाश के बाद जब अदालत दोबारा शुरू हुई तो मेहता ने कहा, “मैंने निर्देश ले लिया है और निर्देश यह है कि यूटी कोई स्थायी नहीं है. मैं परसों इसपर एक सकारात्मक बयान दे सकूंगा. जहां तक लद्दाख की बात है तो वह केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा. लेकिन जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा लौटा दिया जाएगा.”

मंगलवार को मेहता ने मामले में अपनी दलीलें पूरी कीं, जो मुख्य रूप से पुनर्गठन अधिनियम की वैधता को लेकर थी. इसके अलावा, सरकार के वकील ने राष्ट्रपति शासन के पक्ष में भी तर्क दिया, जिसे निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले राज्य में लगाया गया था.

‘स्थिरता लाने के लिए निर्धारित अवधि तक नियंत्रण जरूरी’

जब मेहता जम्मू-कश्मीर के विभाजन के मुद्दे पर अपनी बात रख रहे थे तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उनसे पूछा कि क्या संसद को किसी राज्य को एक पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का अधिकार है.

जब एसजी ने इस संबंध में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का हवाला दिया, तो सीजेआई ने सवाल किया कि क्या जम्मू-कश्मीर को दिए गए यूटी का दर्जा स्थायी है.

इसपर मेहता ने कहा, “नहीं, नहीं मिलोर्ड. सवाल सदन में भी पूछा गया था.” बाद में उन्होंने उस समय संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिया गया एक बयान भी पढ़ा.

पीठ के सदस्यों में से एक, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने सवाल उठाया कि क्या असम के एक हिस्से (उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया गया) को भी यूटी बनने के लिए अलग किया जा सकता है.

इसे अत्यधिक कठित उदाहरण बताते हुए मेहता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि राज्यों को अलग करने की जरूरत है.

अनुच्छेद 3 में नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं और नामों में बदलाव के प्रावधानों का उल्लेख है.

सीजेआई ने तब बताया कि चंडीगढ़ एकमात्र ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है जिसे आजादी के बाद पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत दो राज्यों पंजाब और हरियाणा पर शासन करने के लिए अलग किया गया था.

उन्होंने आगे कहा, “तो आप उन्हें [जम्मू-कश्मीर और लद्दाख] अभी केंद्र शासित प्रदेश बना दें, लेकिन बाद में जब स्थिति ठीक हो जाएगी, तो इसे एक राज्य बना दिया जाएगा. क्या स्थिरता लाने के लिए संघ एक निर्धारित अवधि पर नियंत्रण नहीं रख सकता? चाहे कोई राज्य हो या केंद्रशासित प्रदेश, अगर हम सभी जीवित रहते हैं, तो राष्ट्र जीवित रहता है. तो क्या हमें संसद को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए कि कुछ अवधि के लिए किसी राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाए और फिर एक अवधि के बाद वह एक राज्य बन जाए?”

हालांकि, सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार के लिए यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि राज्य का दर्जा कब बहाल किया जाएगा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब कराए जाएंगे.

सीजेआई ने कहा, “हम समझते हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. राष्ट्र का संरक्षण ही सर्वोपरि चिंता का विषय है. लेकिन आपको किसी बंधन में डाले बिना, आप और एजी [अटॉर्नी जनरल] उच्चतम स्तर पर निर्देश मांग सकते हैं – क्या कोई समय सीमा ध्यान में रखी गई है?”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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