चेन्नई, 23 जनवरी (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि लौह युग की शुरुआत इस क्षेत्र में हुई थी और तमिल धरती पर लोहे का उपयोग करीब चार हजार ईसापूर्व पहले शुरूआत हुआ था, जिससे पता चलता है कि दक्षिण भारत में लोहे का उपयोग 5,300 साल पहले आम था।
स्टालिन ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अब तमिलनाडु को नजरअंदाज नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि वास्तव में, इसकी शुरुआत यहीं से होनी चाहिए।
तमिलनाडु पुरातत्व विभाग द्वारा राज्य में खुदाई के हाल के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘मैं यहां एक महत्वपूर्ण घोषणा कर रहा हूं। शोध के आधार पर, तमिल भूमि पर लोहे के उपयोग का इतिहास करीब 4000 ईसा माना जा सकता है। लोहे को पिघलाना लगभग 5,300 साल पहले शुरू हुआ था।’’
यहां सचिवालय में आयोजित एक समारोह में के. राजन और शिवनाथम द्वारा लिखित और तमिलनाडु पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित ‘‘एंटीक्वीटी ऑफ आयरन’’ पर एक पुस्तक का विमोचन करने के बाद स्टालिन ने कहा कि पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त अवशेषों के नमूने विश्लेषण के लिए पुणे के एक प्रतिष्ठित अनुसंधान केंद्र और फ्लोरिडा के एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र भेजे गए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने नमूने विश्लेषण के लिए और रेडियोकार्बन डेटिंग के लिए राष्ट्रीय संस्थानों में भी भेजे। परिणामों से पता चला कि दक्षिण भारत में लोहे का उपयोग 3345 ईसा पूर्व में ही हो गया था।’’
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कीलाडी ओपन एयर म्यूजियम, गंगईकोंडचोलपुरम संग्रहालय की आधारशिला रखी और कीलाडी संग्रहालय की एक वेबसाइट शुरू की।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं कहता रहा हूं कि भारत का इतिहास तमिल धरती से शुरू होना चाहिए। तमिलनाडु पुरातत्व विभाग इस दिशा में लगातार खुदाई कर रहा है और ये निष्कर्ष हमारे इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में उभर रहे हैं।’’
भाषा अमित धीरज
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