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Friday, 22 November, 2024
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ईरान के विदेश मंत्री ने BRICS सदस्यों को लिखा पत्र, गाज़ा की ‘भयावह’ स्थिति पर दखल की मांग की

अपने पत्र में, ईरान के होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने ब्रिक्स को एक महत्वपूर्ण 'उत्तर-पश्चिमी गुट' कहा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी रविवार को अपने ईरानी समकक्ष से बात की.

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नई दिल्ली : ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने ब्रिक्स के सदस्य देशों- जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं – से इज़रायल-हमास संघर्ष में दखल देने का आग्रह किया है और मांग की है कि “गाज़ा में भयावह स्थिति” को, गुट के एजेंडे में रखा जाए. यह तब हुआ जब भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके ईरानी समकक्ष ने एक फोन कॉल पर बात की, जिसके दौरान उन्होंने संघर्ष को लेकर युद्धविराम का आह्वान किया.

रविवार को ईरानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर घोषणा की कि ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों को पत्र भेजे गए हैं.

बयान के मुताबिक, “हमारे देश के विदेश मंत्री डॉ. होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने ब्रिक्स के पांच सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों को लिखे अलग-अलग पत्रों में… गाज़ा पट्टी में हमलों को रोकने, मानवता के खिलाफ और कब्जा करने वाले हमलावरों को जवाबदेह ठहराने के लिए सदस्य देशों की सक्रिय, रचनात्मक और जिम्मेदार दखल की मांग की है.”

उसी दिन, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इज़रायल-हमास संघर्ष के परिणामों को कम करने और क्षेत्र में ईरान और उसके प्रतिनिधियों को रोकने के उद्देश्य से इराक का अचानक दौरा किया.

10 दिन पहले, भारत ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया था चूंकि उसने हमास की निंदा नहीं की थी. भारत के सभी साथी ब्रिक्स सदस्यों समेत 40 से अधिक सदस्य देशों ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें “निरंतर मानवीय संघर्ष विराम” और गाज़ा पट्टी में लड़ाई को रोकने का आह्वान किया गया था.

ब्रिक्स के अलावा, ईरानी विदेश मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के प्रमुख झांग मिंग को भी पत्र लिखकर गाज़ा पट्टी में हमलों को रोकने के लिए गुट से एक बयान की मांग की है.

इस जुलाई में, ईरान एससीओ का नया सदस्य बन गया है – इस समूह में चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी शामिल हैं.

जनवरी 2024 में उसका ब्रिक्स सदस्य बनना भी तय है.

इज़रायल-हमास संघर्ष ने गाज़ा में लगभग 10,000 लोगों और 1,400 से अधिक इज़रायलियों की जान ले ली है. हमास द्वारा लगभग 200 इज़रायली बंधक भी बनाए गए हैं.

ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण ‘उत्तर-पश्चिमी गुट’

अपने पत्र में, ईरानी विदेश मंत्री ने ब्रिक्स को एससीओ और आसियान की तरह एक महत्वपूर्ण “उत्तर-पश्चिमी गुट” बताया. उन्होंने “मांग की कि ये गुट गाज़ा की भयावह स्थिति को अपने तत्काल एजेंडे में लाएं.”

उसी दिन, अमीर-अब्दुल्लाहियन और जयशंकर ने फोन पर बात की, जिसमें उन्होंने संघर्ष को बढ़ने से रोकने और मानवीय सहायता प्रदान करने के महत्व पर चर्चा की.

कॉल के दौरान, अमीर-अब्दुल्लाहियन ने कहा कि भारत और क्षेत्र के अन्य देशों से युद्धविराम की दिशा में पहल करने की “उम्मीदें” थीं, ईरानी विदेश मंत्रालय के एक बयान में यह कहा गया है.

बयान के मुताबिक, “इस फोन कॉल में, (ईरानी) विदेश मंत्री ने कहा युद्धविराम रोकने के फ्रेमवर्क के भीतर कि भारत से क्षेत्र और दुनिया के अन्य देशों के साथ पहल करने, गाज़ा में उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों को बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता भेजने की उम्मीद है. …”

ईरानी विदेश मंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि संघर्ष के कारण प्रतिरोध बल “नए मोर्चे” खोल सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में संघर्ष बढ़ जाएगा और व्यापक हो जाएगा.

दोनों मंत्रियों ने चाबहार बंदरगाह परियोजना पर भी संक्षेप में चर्चा की, जिसमें 2019 से बिगड़ते अमेरिका-ईरान द्विपक्षीय संबंधों और ट्रम्प प्रशासन द्वारा तेहरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है.


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