नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) दिल्ली पुलिस के बृहस्पतिवार को आयुक्त नियुक्त किए गए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1992 बैच के अधिकारी सतीश गोलचा ने 2009 में दक्षिण कश्मीर के शोपियां बलात्कार मामले में पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा रचे गए झूठे विमर्श को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाई थी।
इस मामले को शुरू में यौन उत्पीड़न के रूप में पेश किया गया था, लेकिन बाद में यह अलगाववादियों और उनके सरहद पार बैठे आकाओं के इशारे पर रची गई साजिश निकला।
साल 2009 के इस मामले को लेकर कश्मीर घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। इसे शुरू में सुरक्षा बलों द्वारा दो महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या के रूप में पेश किया गया था। बाद में जांचकर्ताओं ने पाया कि इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया था ताकि क्षेत्र को अस्थिर किया जा सके।
इसकी वजह से 47 दिनों तक घाटी को ठप कर दिया था, लेकिन गोलचा के नेतृत्व वाली 12 सदस्यीय टीम ने इस विमर्श को ध्वस्त किया। उस समय वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे।
तीस मई 2009 को शोपियां जिले में एक जलाशय से दो महिलाओं के शव बरामद हुए थे। वे एक दिन पहले परिवार के बगीचे से लापता हुई थीं।
शुरुआत में यह दावा किया था कि महिलाओं के साथ बलात्कार कर सुरक्षा बलों ने उन्हें पानी में डूबो दिया। जन आक्रोश इतना बढ़ा कि घाटी में पूरी तरह बंद का माहौल बन गया और पांच पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर लिए गए।
राज्य की विशेष जांच टीम मामले को सुलझा नहीं कर पाई, जिसके बाद सीबीआई को जांच सौंपी गई।
गोलचा के नेतृत्व वाली टीम ने जांच का जिम्मा संभाला। उन्हें एम्स के प्रसिद्ध फॉरेंसिक विशेषज्ञों-डॉ. टी एस डोगरा और डॉ. अनुपमा रैना-की भी मदद मिली ताकि जांच पूरी तरह वैज्ञानिक और निष्पक्ष रहे।
भारी जनदबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप के बावजूद गोलचा की टीम सच्चाई को सामने लायी। निर्णायक मोड़ तब आया जब उन्होंने साहसिक कदम उठाते हुए मजिस्ट्रेट के आदेश से दोनों महिलाओं के शवों को दफनाने के 40 दिन से अधिक समय बाद कब्र से निकलवाया।
इसके बाद हुई फॉरेंसिक जांच निर्णायक रही और इसमें साबित हुआ कि महिलाओं के साथ बलात्कार नहीं हुआ था तथा उनकी मौत डूबने से हुई थी।
जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि बलात्कार और हत्या की कहानी पूरी तरह झूठी थी और इसे सुनियोजित तरीके से गढ़ा गया था। निष्कर्ष इस ओर इशारा करते थे कि साजिश पाकिस्तान से रची गई थी और इस मामले को आईएसआई ने अशांति फैलाने और क्षेत्र को अस्थिर बनाए रखने के लिए गढ़ा था।
बाद में सीबीआई ने मामले में आरोपपत्र दाखिल किया और कहा कि दोनों महिलाओं की न तो हत्या हुई थी और न ही उनके साथ बलात्कार। उनकी मौत डूबने से हुई थी।
सीबीआई की रिपोर्ट के बाद 13 लोगों के खिलाफ सबूत गढ़ने और जानबूझकर जांच को गुमराह करने के आरोप में आरोपपत्र दाखिल किया गया। इनमें डॉक्टर और वकील भी शामिल थे।
सीबीआई ने उन पांच पुलिस अधिकारियों को भी निर्दोष पाया, जिन्हें पहले इस मामले में गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया था।
शोपियां जैसे हाई प्रोफ़ाइल मामले के अलावा गोलचा ने सीबीआई में रहने के दौरान रुचिका छेड़छाड़ और आत्महत्या मामला, रिजवान-उर- रहमान हत्या मामला और 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले की भी जांच की है।
भाषा नोमान पवनेश
पवनेश
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