नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के राष्ट्रों के साथ निरंतर सहयोग की दिशा में संचालित पहल ‘आईओएस-सागर’ का आयोजन अब हर वर्ष किया जाएगा। उप नौसेना प्रमुख (डीसीएनएस), वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि अगले वर्ष इसका आयोजन मार्च के अंत से मई तक किया जाएगा।
वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने कहा, ‘‘इस बार हम दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की ओर जाने पर विचार कर रहे हैं।’
वह 28-30 अक्टूबर तक यहां भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित किए जा रहे हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद (आईपीआरडी) के सातवें संस्करण के उद्घाटन सत्र के मौके पर ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ बातचीत कर रहे थे।
हिंद महासागर पोत (आईओएस) सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) आईओआर राष्ट्रों के साथ निरंतर सहयोग की दिशा में एक पहल है, जो ‘क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए आपसी और समग्र उन्नति’ (महासागर) के भारत के दृष्टिकोण का अनुसरण करती है।
गत पांच अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करने के उद्देश्य से एक अभियान के तहत कर्नाटक में रणनीतिक रूप से स्थित कारवार नौसेना बेस से आईओएस सागर को हरी झंडी दिखाई थी।
आईओएस सागर ने आईओआर में भारत की भूमिका को एक ‘पसंदीदा सुरक्षा साझेदार’ और ‘प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता’ के रूप में भी रेखांकित किया।
आईपीआरडी के 2025 संस्करण की थीम है ‘समग्र समुद्री सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना: क्षेत्रीय क्षमता निर्माण और क्षमता संवर्धन’।
आईओएस सागर की परिकल्पना के संबंध में वाइस एडमिरल सोबती ने कहा, ‘हमने महसूस किया कि समुद्री सुरक्षा का कार्य कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता, क्योंकि यह क्षेत्र इतना विशाल है कि किसी भी एक देश के पास इसे अपने दम पर करने की क्षमता नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम इसे सामूहिक तरीके से करना चाहते थे और हमारी जो दृष्टि थी, वह एक आदर्शवादी दृष्टि थी कि हमारे पास एक जहाज होगा जिसमें सभी भागीदार देशों के नागरिकों का चालक दल होगा और हम सभी भागीदार राष्ट्रों की ईईजेड (विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र) निगरानी करेंगे।’
वाइस एडमिरल सोबती ने कहा कि इस परिकल्पना के तहत, यह क्षेत्र में मौजूद सभी देशों के परिप्रेक्ष्य में एक ‘बहुराष्ट्रीय स्वामित्व वाला जहाज, बहुराष्ट्रीय चालक दल वाला जहाज’ होगा।
उप नौसेना प्रमुख (डीसीएनएस) ने कहा, ‘लेकिन इसका व्यावहारिक कार्यान्वयन यह था कि भारतीय नौसेना ने जहाज प्रदान किया और हमने कई देशों से चालक दल को हमारे साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित किया। नौ देशों से लगभग 50 पोत कर्मियों और हमने दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में गश्त की।’
भारतीय नौसेना के अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुनयना ने इस वर्ष की शुरुआत में आईओएस सागर की कमान संभाली थी।
कारवार से रवाना होने के बाद, 105 मीटर लंबा यह जहाज अपनी लगभग एक महीने की तैनाती में दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुईस और पोर्ट विक्टोरिया से गुजरा। यह जहाज अक्टूबर 2013 में नौसेना में शामिल हुआ था।
आईओएस सागर की टैगलाइन है ‘वन ओशन वन मिशन’।
वाइस एडमिरल सोबती ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आईओएस सागर ‘एक वार्षिक कार्यक्रम बनने जा रहा है और 2026 में यह फिर से होगा, जो मार्च के अंत के आसपास शुरू होकर मई तक चलेगा और इस बार हम दक्षिण पूर्व एशिया (क्षेत्र) की ओर जाने पर विचार कर रहे हैं… तो यह एक वार्षिक आयोजन है जिसे हम जारी रखेंगे।’
भाषा
सुमित वैभव
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