नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांचे गए मामलों में गुजरात के पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा की याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा कि सत्ता में बैठे लोगों के धन शोधन में शामिल होने से शासन में जनता का विश्वास खत्म हुआ है और वित्तीय संस्थानों में प्रणालीगत कमजोरियां पैदा हुई हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें शर्मा ने गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के कई मामलों की प्रारंभिक जांच का अनुरोध किया था।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में पीठ ने कहा कि धन शोधन के दूरगामी परिणाम होते हैं, न केवल भ्रष्टाचार के व्यक्तिगत कृत्यों के संदर्भ में, बल्कि इससे सरकारी खजाने को भी काफी नुकसान होता है।
पीठ ने कहा, ‘वर्तमान मामले में कथित अपराधों का अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ता है, क्योंकि अवैध वित्तीय लेन-देन राज्य को वैध राजस्व से वंचित करते हैं, बाजार की अखंडता को प्रभावित करते हैं और आर्थिक अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं। सत्ता में बैठे व्यक्तियों द्वारा किए जाने वाले ऐसे कृत्य शासन में जनता के विश्वास को खत्म करते हैं और वित्तीय संस्थानों के भीतर प्रणालीगत कमजोरियों को जन्म देते हैं।’
भाषा
शुभम पारुल
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