हैदराबाद : इस साल की शुरुआत में आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने #ByeByeBabu अभियान शुरू किया और वाईएसआर के जगन मोहन रेड्डी ने एन चंद्रबाबू नायडू को सत्ता से बाहर कर दिया था. 6 महीने के बाद चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी एक नए हैशटैग अभियान #ByeByeAP को आगे बढ़ा रही है.
एक समय ऐसा था जब तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश एक व्यावसायिक हब बनने की ओर अग्रसर था, पिछले 6 महीनों में सीएम रेड्डी के फैसलों ने अपने पूर्ववर्ती नायडू के बनाये गए निवेश के माहौल को उलट कर रख दिया है, उद्योगपतियों का कहना है कि राज्य में निवेशकों के विश्वास को चोट पहुंची है.
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर हैशटैग #ByeByeAP चल रहा है. यह कुछ भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फर्मों को इंगित करता है कि वे आंध्र प्रदेश से हट जाएं या राज्य में अपनी निवेश योजनाओं में कटौती करें.
अबूधाबी स्थित लुलु ग्रुप ने पिछले सप्ताह राज्य में अपनी 2,200 करोड़ रुपये की परियोजना से वापसी की घोषणा की थी.
‘पारदर्शी प्रक्रिया में भाग लिया’
लुलु ग्रुप को चंद्रबाबू नायडू द्वारा लाया गया था और एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र, शॉपिंग मॉल और एक पांच सितारा होटल के निर्माण के लिए विशाखापत्तनम में लगभग 14 एकड़ की समुद्र-तल वाली जमीन आवंटित की गई थी, जिससे लगभग 7,000 नौकरियां मिलतीं. नायडू, जो कि एक समय आंध्र प्रदेश के निवेश सम्मेलन का आयोजन कर रहे थे, वो आंध्र और विशाखापत्तनम को एक कन्वेंशन और शॉपिंग हब के रूप में प्रदर्शित करना चाहते थे.
लेकिन, रेड्डी सरकार ने लूलू ग्रुप के साथ नायडू सरकार द्वारा ‘गैर-पारदर्शी’ प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए समझौते को रद्द कर दिया है.
अनंत राम लूलू ग्रुप के भारत के निदेशक ने अपने एक बयान में कहा, हमने बहुत ही पारदर्शी प्रक्रिया में भाग लिया था और हमें पट्टे पर भूमि मिली थी. हालांकि, हमने प्रारंभिक परियोजना के विकास के लिए भारी खर्च किया था… हम परियोजना के भूमि आवंटन को रद्द करने के लिए आंध्र सरकार के फैसले के लिए सहमत हैं.
रेड्डी ने आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के वित्तीय केंद्र के रूप में बनाने के लिए 1,691 एकड़ के क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से एक स्टार्ट-अप क्षेत्र विकसित करने के लिए सिंगापुर के कंसोर्टियम के साथ एक समझौते को इस महीने की शुरुआत में रद्द कर दिया.
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जबकि, सिंगापुर के मंत्री एस ईश्वरन ने कहा कि उनकी कंपनियां आंध्र प्रदेश में अवसरों को लेकर रुचि रखती हैं, लूलू ग्रुप ने रेड्डी के निर्णय को अस्वीकार कर सार्वजनिक कर दिया है.
अनंत राम ने कहा, ‘वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए हमने आंध्र प्रदेश में किसी भी नई परियोजनाओं में निवेश नहीं करने का फैसला किया है.
आंध्र प्रदेश से लुलु और सिंगापुर के कंसोर्टियम के बाहर आने के रिपोर्ट इस बीच आयी है जब रिलायंस इंडस्ट्रीज ने तिरुपति के पास अपने प्रस्तावित 15,000 करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब को वापस ले लिया है और अडानी समूह विशाखापत्तनम में डेटा सेंटर और टेक पार्क के 70,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को गिराने का प्रयास कर रहा है.
टीडीपी ने आरोप लगाया है कि अबू धाबी के बीआरएस उपक्रमों की 12,000 करोड़ रुपये की हेल्थकेयर और हॉस्पिटैलिटी परियोजना, जकार्ता स्थित एशिया पल्प एंड पेपर द्वारा 24,000 करोड़ रुपये के पेपर प्लांट और कीया मोटर्स की 2,000 करोड़ रुपये की सहायक इकाइयां भी इसमें शामिल हैं. आंध्र प्रदेश के कंपनियों के बाहर जाने की प्रमुख वजह चंद्रबाबू नायडू द्वारा लायी गयी कंपनियों के प्रति जगन सरकार का शत्रुतापूर्ण रवैया है.
‘क्या उम्मीद करना है इस पर कोई स्पष्टता नहीं’
उद्योगपति आंध्र प्रदेश में कारोबारी माहौल को चिंताजनक बता रहे हैं. विशाखापत्तनम के एक उद्योगपति ने कहा कि ‘जगन अब अपने लोकलुभावन वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि उद्योग जगत की तरफ से उनसे क्या उम्मीद की जाए, यहां पर कारोबार का माहौल बिगड़ रहा है और बहुत चिंताजनक है.
उद्योगों और निवेश के मोर्चे पर रेड्डी के फैसलों ने केंद्र सरकार को भी चिंतित किया है.
जगन सरकार के जून में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में किए गए पावर परचेज अग्रीमेंट (पीपीए) को फिर से शुरू करने के निर्णय के बाद केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने रेड्डी को चेतावनी देते हुए लिखा कि पीपीए को रद्द करना कानून के खिलाफ होगा और यदि अनुबंधों को सम्मान नहीं दिया जायेगा, तो निवेश आना बंद हो जाएगा.
रेड्डी ने आरोप लगाया था कि नायडू द्वारा निजी सौर ऊर्जा फर्मों के साथ टैरिफ को ज्यादा कीमतों पर तय किया गया था, जिससे राज्य की बिजली वितरण कंपनियों को भारी नुकसान हुआ. रिपोर्ट्स के अनुसार स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक फाइनेंसरों ने भारत को चेताया है कि अगर समस्या हल नहीं हुई, तो आंध्र प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता तक ले जाना पड़ेगा.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी रेड्डी की पोलावरम परियोजना के अनुबंधों को नए सिरे से आमंत्रित करने पर चिंता व्यक्त की थी.
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आंध्र प्रदेश के वाणिज्य मंडलों और उद्योग महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश राव ने कहा, ‘यह हमार तरफ से टिप्पणी नहीं है कि कुछ परियोजनाएं क्यों चल रही हैं. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्द ही विश्वास (स्थानीय कारोबारियों और विदेशी निवेशकों के बीच) पैदा करने के लिए एक सुव्यवस्थित औद्योगिक नीति लाएगी.
‘कोई आगे नहीं बढ़ रहा है’
रजत भार्गव (प्रमुख सचिव, उद्योग, अवसंरचना और निवेश, आंध्र प्रदेश) ने दिप्रिंट से बात करते हुए इस तरह की आशंकाओं को दूर करने की मांग की.
भार्गव ने कहा, कोई भी उद्योग या निवेश यहां से नहीं जा है और न ही सरकार किसी कंपनी या समूह के खिलाफ है. हम अडानी, रिलायंस आदि के साथ बातचीत कर रहे हैं. यहां तक कि विजाग भूमि को रद्द करना लूलू के खिलाफ निर्णय नहीं है, लेकिन पहले से अपनाई गई प्रक्रियाएं है.
आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘राज्य की औद्योगिक नीति में पारदर्शिता लाने के लिए इसे भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की आवश्यकता है.’
उन्होंने कहा कि रेड्डी सरकार ने शुक्रवार को बंदरगाह क्षेत्र के तेजी से विकास और चारों ओर औद्योगिकीकरण के लिए आंध्र प्रदेश समुद्री बोर्ड की स्थापना को सूचीबद्ध किया. भार्गव ने कहा कि आंध्र प्रदेश ने अनंतपुरम जिले में 1,000 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रिक बस निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए वीरा वाहन उद्योग के साथ एक प्रारंभिक समझौता किया है.
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