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Monday, 6 May, 2024
होमदेश‘भाई-भतीजे की हत्या की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में हो’, अतीक की बहन आयशा ने SC का दरवाजा खटखटाया

‘भाई-भतीजे की हत्या की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में हो’, अतीक की बहन आयशा ने SC का दरवाजा खटखटाया

अतीक की बहन आयशा नूरी ने कोर्ट से मांग की है कि उनके भाईयों की हत्या की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी की अध्यक्षता में की जानी चाहिए.

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नई दिल्ली: गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और अशरफ अहमद, जिनकी 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, की बहन ने अपने भाईयों की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अतीक की बहन आयशा नूरी ने कोर्ट से मांग की है कि उनके भाईयों की हत्या की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी की अध्यक्षता में की जानी चाहिए.

आयशा नूरी द्वारा दायर याचिका में उनके भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की भी मांग की गई है. उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनके परिवार को निशाना बनाकर चलाए जा रहे “मुठभेड़ हत्याओं, गिरफ्तारियों और उत्पीड़न” के खिलाफ एक स्वतंत्र एजेंसी से व्यापक जांच की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि “हिरासत में और न्यायेतर हत्याओं” की एक स्वतंत्र जांच आवश्यक थी, जिन्होंने उसके परिवार के सदस्यों को मारने के लिए योजना चलाई. 

याचिका में उन्होंने अदालत को घटना से अवगत कराया और इसे राज्य प्रायोजित हत्याएं बताया. याचिका में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति या वैकल्पिक रूप से एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा ही जांच हो. 

याचिका में कहा गया है, ‘‘सरकार प्रायोजित हत्याओं में अपने भाइयों और भतीजे को खो चुकी याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तत्काल रिट याचिका के माध्यम से इस अदालत में गुहार लगाने को बाध्य है कि प्रतिवादियों द्वारा ‘न्यायेतर हत्याओं’ के अभियान की व्यापक जांच इस अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराई जाए.’’

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इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘प्रतिवादियों-पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है जिसने उन्हें बदले की भावना के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों की हत्या करने, उन्हें गिरफ्तार करने और उनका उत्पीड़न करने की पूरी छूट दे रखी है.’’

याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को चुप करने के लिए सरकार उन्हें एक के बाद एक झूठे मामलों में फंसा रही है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह जरूरी है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी जांच करे जो उच्चस्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों की भूमिका का आकलन कर सकेगी जिन्होंने याचिकाकर्ता के परिवार को निशाना बनाने के लिए अभियान चलाने की साजिश रची और उसे अंजाम दिया था.

शीर्ष अदालत में एक अलग याचिका में वकील विशाल तिवारी ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की थी.

उच्चतम न्यायालय ने 28 अप्रैल को तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि अतीक अहमद और अशरफ को प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में चिकित्सा जांच के लिए एक अस्पताल ले जाते समय मीडिया के सामने क्यों पेश किया गया था ?

उत्तर प्रदेश की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य सरकार घटना की जांच कर रही है और उसने इस बाबत तीन सदस्यीय आयोग बनाया है.


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