पीलीभीत (उप्र), 17 मई (भाषा) पीलीभीत जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने सिख समुदाय के सदस्यों के बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण के मामले में मिली शिकायतों की जांच शुरू की है।
सिख संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिला प्रशासन के ध्यान में मामला लाए जाने के बाद यह जांच शुरू की गई।
पीलीभीत के जिलाधिकारी (डीएम) संजय कुमार सिंह ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘सिखों के बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए सिख निकाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को हमसे मुलाकात की। मैंने पूरनपुर के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) को जिला पुलिस टीम के साथ मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।’’
शुक्रवार की बैठक के दौरान, अखिल भारतीय सिख पंजाबी कल्याण परिषद के सदस्यों ने दावा किया कि लगभग 3,000 सिखों ने हाल में ईसाई धर्म अपना लिया है। उन्होंने जिला अधिकारियों को 160 परिवारों की सूची सौंपी, जिसमें उनके धर्मांतरण का आरोप लगाया गया।
अखिल भारतीय सिख पंजाबी कल्याण परिषद के हरपाल सिंह जग्गी ने पत्रकारों से कहा कि ‘‘सीमावर्ती इलाकों में नेपाली पादरी अत्यधिक सक्रिय हैं और प्रलोभन के माध्यम से लोगों का जबरन धर्मांतरण कर रहे हैं।’’
उन्होंने फरवरी में हुए एक कार्यक्रम का हवाला दिया, जिसमें 180 परिवारों ने कथित तौर पर सिख धर्म में ‘‘घर वापसी’’ की। जग्गी ने 2020 से सीमावर्ती गांवों में सिखों और हिंदुओं दोनों समुदायों में जारी धर्मांतरण पर भी प्रकाश डाला और जोर देकर कहा कि ये धर्मांतरण दबाव, प्रलोभन और बीमारी के इलाज के झूठे वादों से प्रेरित हैं।
यह घटनाक्रम 13 मई को हजारा पुलिस थाना में आठ नामजद व्यक्तियों और कई अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अवैध धर्मांतरण के कथित मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी के बाद हुआ है।
जग्गी ने धर्मांतरण के लिए गरीबी और शिक्षा की कमी जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया, सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया और मांग की कि जिन लोगों ने धर्मांतरण किया है, वे अपने जाति प्रमाण पत्र को इसके अनुसार अद्यतन करें।
पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने इस प्रकरण पर पत्रकारों को बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है। कुछ लोगों ने मिलकर भी उनसे शिकायत की है, जिसमें धर्मांतरण के लिए दबाव बनाए जाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि शिकायत की जांच कराई जा रही है और जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
भाषा सं आनन्द सुरभि
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