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Monday, 11 August, 2025
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बर्बाद हो रही है इंटर्नशिप योजना, सरकार के पास प्रशासनिक कौशल का अभाव: कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना ऐसी सरकार के हाथों बर्बाद हो रही है जिसके पास प्रशासनिक कौशल का घोर अभाव है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने पांच साल में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप का मौका देने का लक्ष्य जरूर रखा है, लेकिन अब तक के आंकड़ों से स्पष्ट है कि स्थिति निराशाजनक है।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘हम पहले ही आगाह कर चुके थे कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस), जो कांग्रेस की 2024 लोकसभा चुनाव की गारंटी “पहली नौकरी पक्की” से प्रेरित है, जिसमें सभी स्नातक और डिप्लोमा धारकों को एक साल की ‘अप्रेंटिसशिप’ देने का वादा किया गया था। यह योजना एक ऐसी सरकार के हाथों बर्बाद हो रही है, जिसके पास प्रशासनिक कौशल का घोर अभाव है।’

उन्होंने दावा किया कि अब यह सामने आ रहा है कि वही समस्या कई महीनों बाद भी इस योजना को प्रभावित कर रही है।

रमेश के अनुसार, पीएमआईएस के दूसरे चरण में 1.18 लाख इंटर्नशिप के अवसर खोले गए, लेकिन सिर्फ 71,458 प्रस्ताव दिए गए। यह पहले चरण की तुलना में 13 प्रतिशत की गिरावट है, जब 82,077 ऑफर उपलब्ध थे।

उन्होंने कहा कि 17 जुलाई तक, इंटर्नशिप के 71,458 प्रस्तावों में से केवल 22,584 प्रस्ताव को उम्मीदवारों द्वारा स्वीकार किया गया, जो पहले चरण में इंटर्नशिप स्वीकार करने वाले 28,000 छात्रों से भी कम है।

रमेश ने दावा किया, ‘पहले चरण में, जिन 28,000 छात्रों ने प्रस्ताव स्वीकार किए थे, उनमें से केवल 8,725 (सिर्फ 7 प्रतिशत) ने वास्तव में इंटर्नशिप की तथा इस चरण में कितनों ने इंटर्नशिप की, इसकी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत आवंटित धन का उपयोग लगातार कम हो रहा है, और जो इंटर्नशिप वास्तव में पूरी हुई हैं, उनकी संख्या नगण्य है और यह सरकार द्वारा अगले पांच वर्षों में एक करोड़ इंटर्नशिप के लक्ष्य की तुलना में यह प्रदर्शन बेहद निराशाजनक है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘संप्रग सरकार ने मनरेगा, खाद्य सुरक्षा कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे विश्व के सबसे जटिल और विस्तृत कार्यक्रमों को न केवल शुरू किया, बल्कि सफलतापूर्वक लागू भी किया।’

उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार की खासियत रही है बड़ी-बड़ी घोषणाएं करना, लेकिन उन पर अमल नहीं करना क्योंकि यह सरकार एक आदमी की सनक और मनमानी पर चलती है।

भाषा हक प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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