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Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘मोदी का प्रेस पर हमला', BBC पर रेड को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने डॉक्यूमेंट्री विवाद से जोड़कर देखा

‘मोदी का प्रेस पर हमला’, BBC पर रेड को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने डॉक्यूमेंट्री विवाद से जोड़कर देखा

मंगलवार और बुधवार को दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी कार्यालय में आयकर विभाग द्वारा छापेमारी को अधिकतर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने कवर किया है. अधिकतर समाचार पत्र और मीडिया ने इस रेड को बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री से जोड़कर देखा है.

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नई दिल्ली: मंगलवार और बुधवार को दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालय पर आयकर विभाग द्वारा छापेमारी को लेकर बवाल मचा हुआ है. ब्रिटिश समाचार कंपनी बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालय पर आयकर विभाग ने छापा मारा है. छापेमारी के दौरान आयकर विभाग ने वहां काम कर रहे सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिए थे. अपने कार्यालय पर छापेमारी को लेकर बीबीसी ने जारी अपने बयान में कहा था, ‘हम अपने कर्मचारियों की मदद कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द से जल्द सामान्य हो जाएगी.’

बीबीसी के कार्यालय पर छापेमारी को दुनिया के अधिकतर समाचार पत्र और न्यूज़ चैनल ने जगह दी है. अमेरिका का प्रतिष्ठित समाचार पत्र द वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, ‘बीबीसी पर छापा भारत में प्रेस की आजादी पर हमला है.’

वाशिंगटन पोस्ट लिखता है, ‘तीन हफ्ते पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में हुए दंगों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी. मोदी सरकार ने उसे बैन कर दिया था और विश्वविद्यालयों में स्क्रीनिंग के साथ-साथ तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके क्लिप को ब्लॉक करने का प्रयास किया. अब बीबीसी के ऑफिस में छापेमारी हुई है.’

समाचार पत्र ने आगे लिखा, ‘छापे के बाद निश्चित रूप से भाजपा की ट्रोल आर्मी खुश हैं. साल 2014 में मोदी युग की शुरुआत से ही भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले होते रहे हैं.’

वहीं एक और अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा, ‘भारतीय टैक्स अधिकारियों ने बीबीसी के कार्यालय पर छापा मारा. यह रेड बीबीसी द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण रोकने के कुछ दिन बाद हुई है, जिसमें देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ उनके व्यवहार की आलोचना की गई थी.’

न्यूयार्क टाइम्स आगे लिखता है, ‘मोदी ने अपने अधीन भारतीय अधिकारियों का इस्तेमाल कर अक्सर स्वतंत्र मीडिया संगठनों, मानवाधिकार समूहों और थिंक टैक के खिलाफ इस तरह के रेड का इस्तेमाल किया है. नागरिक अधिकार समूहों ने बार-बार प्रेस की घटती आजादी पर चिंता व्यक्त की है. कई बार पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को लंबे समय तक के लिए जेल में डाल दिया गया है और वह भारत की जटिल न्यायपालिका और अदालती मामलों में फंस चुके हैं.’

आगे लिखा गया है, ‘आलोचना के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी की बढ़ती प्रक्रिया भारत की उभरती हुई ताकत के विपरीत है जबकि मोदी अक्सर वैश्विक मंच पर दक्षिण एशियाई देशों के लीडर के रूप में भारत का दावा करते हैं.’

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा, ‘फ्रांस स्थित संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित प्रेस रैंकिंग में भारत 180 देशों में 150 वें स्थान पर है. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री  ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध लगाने के करीब एक महीने से कम समय में यह अभियान शुरू हो गया.‘

वहीं अमेरिकी समाचार कंपनी सीएनएन ने लिखा, ‘यह छापेमारी भारत सरकार द्वारा बैन किए गए डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के कुछ दिन बाद की गई.’

सीएनएन ने आगे लिखा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सरकार के इस कदम को आलोचकों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है जबकि मोदी के समर्थक उनके बचाव में उतर आए हैं.’

वहीं ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने भी इसको लेकर खबर प्रकाशित की. ब्रिटिश अखबार ने इसको लेकर ब्रिटिश सरकार की खामोशी पर सवाल उठाया है.

एक और ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले डॉक्यूमेंट्री के रिलीज किए जाने के कुछ दिन बाद ही भारतीय अधिकारियों ने बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों पर छापा मारा.’

इस ब्रिटिश अखबार ने आगे लिखा, ‘मोदी सरकार ने उस समय ब्रिटिश पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्री एक ‘प्रचार का टुकड़ा’ है जो ‘निरंतर औपनिवेशिक मानसिकता’ को दर्शाता है.


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मोदी कार्यकाल में प्रेस को नुकसान

चर्चित पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने भी बीबीसी पर छापे को कवर किया है. पाकिस्तानी अखबार ने लिखा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता को मोदी के कार्यकाल में नुकसान उठाना पड़ा है. सरकार के इस कदम को पत्रकारों के साथ साथ विपक्षी दलों ने भी ‘प्रतिशोध की भावना’ और ‘अघोषित आपातकाल’ के रूप में वर्णित किया है. इस छापे ने भारत में सेंसरशिप की आशंका बढ़ा दी है.’

पाकिस्तानी अख़बार ने बीबीसी पर छापे को बीबीसी द्वारा कुछ दिन पहले रिलीज की गई डॉक्यूमेंट्री से जोड़ा. साथ ही द डॉन ने लिखा कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 180 देशों में 10 स्थान गिरकर 150 वें स्थान पर आ गया है, क्योंकि उन्होंने 2014 में कार्यभार संभाला था.

एक और पाकिस्तानी अख़बार मिनट मिरर ने लिखा कि 2002 के घातक गुजरात दंगों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली कंपनी बीबीसी के दिल्ली कार्यालय पर भारतीय टैक्स अधिकारियों ने छापा मारा.

जापान का प्रमुख अख़बार यूमिउरी शिंबुन ने लिखा, ‘भारत के  नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी दलों ने बीबीसी पर छापे की निंदा की और इसे मीडिया पर हमला बताया.’


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