(नीलाभ श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) भारत की संघीय वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा किए गए एक अध्ययन में ‘‘संदेह’’ व्यक्त किया गया है कि देश भर में क्रिप्टोकरंसी का उपयोग आतंकवाद वित्तपोषण, अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी के अलावा सट्टेबाजी जैसे आपराधिक कृत्यों में किया जा रहा है।
वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) द्वारा 2023-24 वित्त वर्ष के दौरान वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों (वीडीए) और उनके सेवा प्रदाताओं (क्रिप्टो एक्सचेंज) से जुड़ी एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे इस क्षेत्र से संबंधित कई संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) और उनकी ‘‘गतिविधियों का विश्लेषण’’ करने के बाद तैयार किया गया।
हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यह बात ‘‘केवल संदेह पर आधारित’’ है।
एफआईयू ने इस बात के साथ-साथ देश में क्रिप्टोकरंसी के संचालन पर ‘‘विश्वसनीय’’ खुफिया जानकारी को प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी प्रासंगिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा किया और कुछ मामलों में उनके द्वारा आवश्यक प्रवर्तन कार्रवाई की गई।
भारत वर्तमान में क्रिप्टोकरंसी को विनियमित करने और निगरानी करने के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहा है, लेकिन जब तक इसे लागू नहीं किया जाता, तब तक देश में क्रिप्टो अवैध नहीं है।
क्रिप्टोकरंसी लेनदेन से अर्जित आय पर 2022 से 30 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाया जाता है।
विश्लेषण से पता चला कि वीडीए या क्रिप्टोकरंसी का बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम), आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक पदार्थों की तस्करी, सट्टेबाजी और जुआ जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया।
संघीय एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में ‘‘संवेदनशील’’ क्षेत्रों में स्थित व्यक्तियों द्वारा ‘‘उच्च मात्रा’’ में क्रिप्टोकरंसी, हवाला और ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित लेन-देन के संदेह के बारे में भी आगाह किया है, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए किया गया।
रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बिटकॉइन, ट्रॉन और स्टेबल कॉइन जैसे वीडीए का उपयोग ‘‘अवैध कृत्य करने वालों’’ द्वारा उनकी व्यापक स्वीकार्यता के कारण बहुत व्यापक रूप से किया जाता है।
भाषा शफीक नेत्रपाल
नेत्रपाल
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