नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान की एक सुनवाई अदालत को चेक बाउंस मामले में आपराधिक कार्यवाही बहाल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि संबंधित चेक इस टिप्पणी के साथ लौटाया गया था कि ‘खाता फ्रीज’ किया जा चुका है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने मामले में कार्यवाही को रद्द कर दिया था।
सर्वोच्च अदालत ने इस तर्क को ठुकरा दिया कि आरोपियों के खिलाफ परक्राम्य लिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट) की धारा-138 के तहत कोई मामला नहीं बनता था, क्योंकि बैंक प्रबंधकों ने स्पष्ट रूप से बयान दिया है कि उनके बैंक में ऐसा कोई खाता न तो खोला गया था और न ही उसे संचालित किया गया था।
पीठ ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि एक ओर, बैंक प्रबंधकों ने स्पष्ट रूप से यह बयान दिया है कि उनके बैंक में न तो ऐसा कोई खाता खोला गया था और न ही उसका संचालन किया गया था, जबकि दूसरी तरफ प्रतिवादी द्वारा याचिकाकर्ता के पक्ष में आहरित चेक को इस टिप्पणी के साथ लौटा दिया गया कि ‘खाता फ्रीज’ हो चुका है।”
पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थे। उसने कहा कि चेक पर बैंक खाते का उल्लेख किया गया है और ‘खाता फ्रीज’ होने की टिप्पणी को यह माना जाएगा कि संबंधित खाता मौजूद था।
शीर्ष अदालत ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है, जिस पर ट्रायल कोर्ट द्वारा विस्तार से विचार किए जाने की जरूरत है। पार्टियों को एक पूर्ण सुनवाई से गुजरना होगा। किसी भी सूरत में यह मामला ऐसा नहीं था, जिसमें कार्यवाही को रद्द किया जा सकता था।”
शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए निचली अदालत को मामले में कार्यवाही बहाल करने और इसे कानून के अनुसार तेजी से और हो सके तो छह महीने के भीतर निपटाने का निर्देश दिया।
भाषा पारुल नरेश
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