नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) की गतिविधियों के कारण गुजरात के कच्छ जिले में आजीविका खोने वाले 121 मछुआरों को 30.25 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दिसंबर, 2010 से फरवरी, 2011 की अवधि के दौरान मछुआरों की आजीविका का नुकसान हुआ।
अधिकरण ने कहा कि पीजीसीआईएल ने कोई नुकसान होने से इनकार किया है, जबकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की निरीक्षण रिपोर्ट पीजीसीआईएल की अवैध कार्रवाई से हुए इस तरह के नुकसान को दर्शाती है।
पीठ ने कहा, ”इस प्रकार कुल 30,25,000 रुपये का नुकसान हुआ है। हम यह मुआवजा देने का निर्देश देते हैं। पीजीसीआईएल को दो महीने के भीतर जिला मजिस्ट्रेट, कच्छ के पास उक्त राशि जमा कराने का निर्देश दिया जाता है।”
पीठ ने कहा, ”जिला मजिस्ट्रेट धनराशि जमा होने के बाद दो महीने के भीतर 121 मछुआरों को 25,000 रुपये की दर से राशि वितरित कर सकते हैं। निर्धारित समय से आगे किसी भी तरह की देरी होने पर ब्याज देना होगा।”
अधिकरण समा सिद्दीक उस्मान और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कच्छ के चेरावाड़ी और सूरजबाड़ी गांवों के मछुआरों की आजीविका को पीजीसीआईएल की गतिविधियों के कारण हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने की मांग की गई थी।
भाषा जोहेब रंजन
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