प्रयागराज (उप्र), 14 मई (भाषा) वाराणसी के दालमंडी इलाके में सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रहे कई मकानों के ध्वस्तीकरण के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने शाहनवाज खान और कई अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा मकानों का अधिग्रहण किए बगैर उन्हें जल्द ध्वस्त किए जाने का खतरा है।
अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 20 मई तय करते हुए राज्य सरकार के वकील को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि राज्य के अधिकारी सड़क चौड़ी करने के लिए भूमि और मकानों का अधिग्रहण किए बगैर मकानों को ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं।
अदालत ने नौ मई के आदेश में कहा, ‘‘इस बीच मकानों का अधिग्रहण किए बगैर उन्हें ध्वस्त करने संबंधी खतरे की दलील पर विचार करते हुए हम सरकार से अगली तिथि तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हैं।’’
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, दालमंडी इलाके में करीब 189 मकान, यथास्थिति के इस अंतरिम आदेश के बाद संरक्षित बने रहेंगे।
वकील ने दलील दी कि वाराणसी जिला प्रशासन सभी मकानों के लिए मुआवजा की एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। दालमंडी परियोजना 100 करोड़ रुपये से अधिक की है, इसलिए इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले मार्ग को सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार ने चौक जाने वाली नयी सड़क से जुड़ी दालमंडी रोड को 17 मीटर चौड़ा करने का निर्णय किया है। चौड़ीकरण की जद में करीब 189 मकान आ रहे हैं।
भाषा राजेंद्र सुरभि
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